जापान और भारत ने अपनी-अपनी
राष्ट्रीय मुद्राओं की अदला-बदली (विनिमय) की राशि बढ़ाकर 50 अरब डॉलर तक करने का निर्णय
लिया. अमरीका की फ़ेडरल रिजर्व व्यवस्था द्वारा डॉलर की छपाई धीरे-धीरे कम करने की
कार्रवाई की वज़ह से दोनों देशों के बीच यह सहमति हुई. अमरीकी बैंक की इस कार्रवाई
से विकासशील देशों से पूँजी बाहर भागेगी परिणाम स्वरूप इन देशों की मुद्रास्फ़ीति
में वृद्धि होगी.
राष्ट्रीय मुद्राओं की अदला-बदली (विनिमय) संबंधी निर्णय भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और जापान के उप प्रधानमंत्री तारो असो के बीच जी़-20 शिखर सम्मेलन के दौरान अलग से हुई एक बैठक के बाद लिया गया. इस बैठक के बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त प्रेस वक्तव्य 6 सितंबर 2013 को जारी किया. जिसके मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं.
• भारत और जापान ने द्विपक्षीय मुद्रा विनिमय व्यवस्था को 15 अरब अमरीकी डॉलर से बढ़ाकर 50 अरब अमरीकी डॉलर तक करने का फैसला किया. दोनों सरकारों ने उम्मीद जतायी है कि इस फैसले से उभरती अर्थव्यवस्थाओं सहित वैश्विक वित्तीय बाजारों की स्थिरता को बल मिलेगा.
• भारत और जापान की सरकारों ने भारत में स्थिर और लंबी अवधि के पूंजी प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय और निवेश के क्षेत्रों में निरंतर सुधार के महत्व को भी दोहराया.
• दोनों देशों ने विश्वास व्यक्त किया है कि इन नीतिगत उपायों से जापान और भारत के बीच द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को मजबूती मिलेगी.
विदित हो कि भारत और जापान में 15 अरब डालर की विदेशी मुद्रा की अदला बदली का समझौता वर्ष 2012 में हुआ था. इसके तहत जरूरत के वक्त दोनों देश एक दूसरे के विदेशी मुद्रा भंडार का सहारा ले सकते हैं.
राष्ट्रीय मुद्राओं की अदला-बदली (विनिमय) संबंधी निर्णय भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और जापान के उप प्रधानमंत्री तारो असो के बीच जी़-20 शिखर सम्मेलन के दौरान अलग से हुई एक बैठक के बाद लिया गया. इस बैठक के बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त प्रेस वक्तव्य 6 सितंबर 2013 को जारी किया. जिसके मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं.
• भारत और जापान ने द्विपक्षीय मुद्रा विनिमय व्यवस्था को 15 अरब अमरीकी डॉलर से बढ़ाकर 50 अरब अमरीकी डॉलर तक करने का फैसला किया. दोनों सरकारों ने उम्मीद जतायी है कि इस फैसले से उभरती अर्थव्यवस्थाओं सहित वैश्विक वित्तीय बाजारों की स्थिरता को बल मिलेगा.
• भारत और जापान की सरकारों ने भारत में स्थिर और लंबी अवधि के पूंजी प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय और निवेश के क्षेत्रों में निरंतर सुधार के महत्व को भी दोहराया.
• दोनों देशों ने विश्वास व्यक्त किया है कि इन नीतिगत उपायों से जापान और भारत के बीच द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को मजबूती मिलेगी.
विदित हो कि भारत और जापान में 15 अरब डालर की विदेशी मुद्रा की अदला बदली का समझौता वर्ष 2012 में हुआ था. इसके तहत जरूरत के वक्त दोनों देश एक दूसरे के विदेशी मुद्रा भंडार का सहारा ले सकते हैं.
मुद्रा विनिमय (करेंसी
स्वैपिंग, Currency Swapping)
मुद्रा विनिमय दो संस्थानों (देशों) के बीच किसी ऋण के विनिमय किये जाने वाले पहलुओं (मूलधन तथा ब्याज के भुगतानों) का एक देश की मुद्रा के दूसरे देश की मुद्रा के बराबर ऋण के मूल्य को समतुल्य करने हेतु एक विदेशी मुद्रा समझौता है. मुद्रा विनिमय प्रतियोगात्मक लाभ से प्रेरित होते हैं. मुद्रा विनिमय किसी देश के केंद्रीय बैंक के द्वारा किये जाने वाले नकदी विनिमय से भिन्न होता है.
मुद्रा विनिमय के उपयोग
• सस्ता ऋण प्राप्त करना और बैक-टू-बैक (लगातार) ऋण का उपयोग करते हुए वांछित मुद्रा में कर्ज का विनिमय करना.
• मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव के बावजूद सुरक्षित रहना (जोखिम कम करना)
मुद्रा विनिमय की शुरूआत 1970 में ब्रिटेन में विदेशी मुद्रा नियंत्रणों से निपटने के लिए की गयी थी. साथ ही, 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान संयुक्त राज्य संघीय संचय प्रणाली द्वारा केंद्रीय बैंक तरलता विनिमय की स्थापना करने के लिये मुद्रा विनिमय लेनदेन की संरचना का प्रयोग किया गया था.
मुद्रा विनिमय दो संस्थानों (देशों) के बीच किसी ऋण के विनिमय किये जाने वाले पहलुओं (मूलधन तथा ब्याज के भुगतानों) का एक देश की मुद्रा के दूसरे देश की मुद्रा के बराबर ऋण के मूल्य को समतुल्य करने हेतु एक विदेशी मुद्रा समझौता है. मुद्रा विनिमय प्रतियोगात्मक लाभ से प्रेरित होते हैं. मुद्रा विनिमय किसी देश के केंद्रीय बैंक के द्वारा किये जाने वाले नकदी विनिमय से भिन्न होता है.
मुद्रा विनिमय के उपयोग
• सस्ता ऋण प्राप्त करना और बैक-टू-बैक (लगातार) ऋण का उपयोग करते हुए वांछित मुद्रा में कर्ज का विनिमय करना.
• मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव के बावजूद सुरक्षित रहना (जोखिम कम करना)
मुद्रा विनिमय की शुरूआत 1970 में ब्रिटेन में विदेशी मुद्रा नियंत्रणों से निपटने के लिए की गयी थी. साथ ही, 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान संयुक्त राज्य संघीय संचय प्रणाली द्वारा केंद्रीय बैंक तरलता विनिमय की स्थापना करने के लिये मुद्रा विनिमय लेनदेन की संरचना का प्रयोग किया गया था.
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