इसराइल और हमास ने 50 दिनों तक चले खूनी
युद्ध के बाद मिस्र के संघर्ष विराम प्रस्ताव पर 26 अगस्त 2014
को सहमत हो गए. इस सहमति के साथ ही दोनों पक्षों ने युद्ध को बंद
करा दिया. इस बार यह संघर्ष विराम असीमित समय के लिए हुआ है.
हमास फिलिस्तीन का एक चरमपंथी गुट है जो विश्व में एक आतंकवादी संगठन के रूप में जाना जाता है.
हमास फिलिस्तीन का एक चरमपंथी गुट है जो विश्व में एक आतंकवादी संगठन के रूप में जाना जाता है.
मिस्र द्वारा प्रस्तावित समझौते के तहत दोनों पक्ष आपसी संर्घष विराम
पर अटल रहेंगें. इसराइल आगे विस्तार की संभावना के साथ गाजा के तट पर मछली पकड़ने
की सीमा को तीन मील से छह मील करेगा. गाजा की सीमाओं पर फिलीस्तीनी प्राधिकरण का
अधिकार होगा. पीए पुनर्निर्माण के प्रयासों में मदद करेगा. इसराइल गाजा में 300
मीटर के सुरक्षा बफर को 100 मीटर करेगा.
इसराइल गाजा क्रॉसिंग को और अधिक खोलेगा और मिस्र राफा को खोलेगा.
हालांकि, इसके बाद भी अभी कुछ मुद्दे हल नहीं किए गए हैं. हमास की गाजा बंदरगाह और हवाई अड्डा एवं इस्राइल की गाजा के विसैन्यीकरण से जुड़ा मुद्दा संघर्ष विराम के एक महीने तक सफलतापूर्वक चलने के बाद हल किए जाने का प्रस्ताव है.
यद्यपि मिस्र ने 15 जुलाई 2014 को ही संघर्ष विराम समझौते का प्रस्ताव दिया था लेकिन हमास ने इसे अस्वीकार कर दिया था. इसके अस्वीकार कर देने के बाद इसराइल ने ‘ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज’, जिसकी शुरुआत 8 जुलाई 2014 को थी, को जारी रखा. इस ऑपरेशन ने 26 अगस्त 2014 को संघर्ष विराम होने तक 2100 फिलीस्तिनियों की जान ले ली और 1.7 मिलियन लोगों को विस्थापित कर दिया. इसमें इस्राइल के भी 5 नागरिकों के साथ 64 सैनिक मारे गए.
इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस्राइल के हमास के खिलाफ वर्ष 2008–09 के दौरान ‘ऑपरेशन कास्ट लीड’ के मुकाबले इस बार के युद्ध में शारीरिक क्षति तीन गुना अधिक हुई है.
इस संघर्ष विराम के पहले अनेकों बार विश्व के कई देशों द्वारा युद्ध समाप्त करने की अपील की गई परन्तु दोनों पक्षों द्वारा या किसी एक पक्ष द्वारा अपील को अस्वीकार कर दी गई.
हालांकि, इसके बाद भी अभी कुछ मुद्दे हल नहीं किए गए हैं. हमास की गाजा बंदरगाह और हवाई अड्डा एवं इस्राइल की गाजा के विसैन्यीकरण से जुड़ा मुद्दा संघर्ष विराम के एक महीने तक सफलतापूर्वक चलने के बाद हल किए जाने का प्रस्ताव है.
यद्यपि मिस्र ने 15 जुलाई 2014 को ही संघर्ष विराम समझौते का प्रस्ताव दिया था लेकिन हमास ने इसे अस्वीकार कर दिया था. इसके अस्वीकार कर देने के बाद इसराइल ने ‘ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज’, जिसकी शुरुआत 8 जुलाई 2014 को थी, को जारी रखा. इस ऑपरेशन ने 26 अगस्त 2014 को संघर्ष विराम होने तक 2100 फिलीस्तिनियों की जान ले ली और 1.7 मिलियन लोगों को विस्थापित कर दिया. इसमें इस्राइल के भी 5 नागरिकों के साथ 64 सैनिक मारे गए.
इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस्राइल के हमास के खिलाफ वर्ष 2008–09 के दौरान ‘ऑपरेशन कास्ट लीड’ के मुकाबले इस बार के युद्ध में शारीरिक क्षति तीन गुना अधिक हुई है.
इस संघर्ष विराम के पहले अनेकों बार विश्व के कई देशों द्वारा युद्ध समाप्त करने की अपील की गई परन्तु दोनों पक्षों द्वारा या किसी एक पक्ष द्वारा अपील को अस्वीकार कर दी गई.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने भी गाजा में
इस्राइल के आक्रामक रवैये की समस्या से संबंधित एक संकल्प, जिसका शीर्षक था येरूशलम सहित अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय
कानून हेतु सम्मान सुनिश्चित करना, प्रस्तुत किया. जिस
पर 23 जुलाई 2014 को मतदान भी कराया
गया. संकल्प के पक्ष में भारत सहित 29 देशों ने मतदान किया जबकि यूरोपीय देशों सहित कुल 17 देश मतदान की प्रक्रिया के दौरान अनुपस्थित रहे. 47 सदस्यों
वाले यूएनएचआरसी में इस संकल्प के खिलाफ मत करने वाला अमेरिका एक मात्र देश था.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त नवी पिल्लै ने इस हिंसा को युद्ध अपराध करार दिया है.
क्यों टकराते हैं इसराइल और हमास?
ग़ज़ा पट्टी मध्य पूर्व में मिस्र और इसराइल के बीच एक छोटा सा भू भाग है जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग 360 वर्ग किलोमीटर है. अर्थात ये आकार में दिल्ली के एक चौथाई हिस्से के बराबर है और इसकी आबादी लगभग 18 लाख है.
इसराइल ने वर्ष 1967 के मध्य पूर्व युद्ध के बाद ग़ज़ा पर क़ब्ज़ा कर लिया और लगभग चार दशक बाद वर्ष 2005 में वहां से अपने सैनिक हटाए. इसके बावजूद ग़ज़ा की सीमाओं, पानी और वायुक्षेत्र पर अब भी इसराइल का नियंत्रण है. वहीं ग़ज़ा की दक्षिणी सीमा को मिस्र नियंत्रित करता है.
ग़ज़ा में लोगों और सामान की आवाजाही पर इसराइल का कड़ा नियंत्रण है. इसे जहां हमास ग़ज़ा की नाकेबंदी बताता है, वहीं इसराइल अपनी सुरक्षा के लिए इसे अहम मानता है.
हमास के घोषणापत्र में यूं तो इसराइल के विनाश की बात कही गई है लेकिन हाल के वर्षों में उसने कहा है कि वो इसराइल के साथ लंबा संघर्ष विराम चाहता है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त नवी पिल्लै ने इस हिंसा को युद्ध अपराध करार दिया है.
क्यों टकराते हैं इसराइल और हमास?
ग़ज़ा पट्टी मध्य पूर्व में मिस्र और इसराइल के बीच एक छोटा सा भू भाग है जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग 360 वर्ग किलोमीटर है. अर्थात ये आकार में दिल्ली के एक चौथाई हिस्से के बराबर है और इसकी आबादी लगभग 18 लाख है.
इसराइल ने वर्ष 1967 के मध्य पूर्व युद्ध के बाद ग़ज़ा पर क़ब्ज़ा कर लिया और लगभग चार दशक बाद वर्ष 2005 में वहां से अपने सैनिक हटाए. इसके बावजूद ग़ज़ा की सीमाओं, पानी और वायुक्षेत्र पर अब भी इसराइल का नियंत्रण है. वहीं ग़ज़ा की दक्षिणी सीमा को मिस्र नियंत्रित करता है.
ग़ज़ा में लोगों और सामान की आवाजाही पर इसराइल का कड़ा नियंत्रण है. इसे जहां हमास ग़ज़ा की नाकेबंदी बताता है, वहीं इसराइल अपनी सुरक्षा के लिए इसे अहम मानता है.
हमास के घोषणापत्र में यूं तो इसराइल के विनाश की बात कही गई है लेकिन हाल के वर्षों में उसने कहा है कि वो इसराइल के साथ लंबा संघर्ष विराम चाहता है.
इसराइल ने आठ जुलाई को 'ऑपरेशन
प्रोटेक्टिव एज' की शुरुआत की थी. इसका मक़सद इसराइल में
रॉकेट हमले रोकना था. बाद में उसने चरमपंथियों की सुरंगें नष्ट करने का काम भी
इसमें जोड़ दिया.
सच्चाई यह है कि अगर संघर्ष विराम को आगे बढ़ाना है तो दोनों पक्षों को निश्चित रूप से कुछ न कुछ रियायत देनी होगी. दोनों पक्ष (जो कभी आमने-सामने नहीं मिलेंगे) अब भी एक दूसरे से नफ़रत करते हैं. इसमें सबसे अच्छी बात जो कही जा सकती है वो यह है कि लड़ाई से बेहतर है कि वो बातचीत करें. इसराइल और हमास के मध्य यह समझौता निःसंदेह स्वागत योग्य है और यह गाजा क्षेत्र में शांति स्थापित करने में मददगार साबित होगी.
सच्चाई यह है कि अगर संघर्ष विराम को आगे बढ़ाना है तो दोनों पक्षों को निश्चित रूप से कुछ न कुछ रियायत देनी होगी. दोनों पक्ष (जो कभी आमने-सामने नहीं मिलेंगे) अब भी एक दूसरे से नफ़रत करते हैं. इसमें सबसे अच्छी बात जो कही जा सकती है वो यह है कि लड़ाई से बेहतर है कि वो बातचीत करें. इसराइल और हमास के मध्य यह समझौता निःसंदेह स्वागत योग्य है और यह गाजा क्षेत्र में शांति स्थापित करने में मददगार साबित होगी.
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