केंद्र सरकार द्वारा राज्यपालों को उनके पद से हटाना संवैधानिक है या असंवैधानिक?-(23-AUG-2014) C.A

| Saturday, August 23, 2014
सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड के राज्यपाल अजीज कुरैशी को पद से हटाने के नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही संप्रग (यूपीए) सरकार के कार्यकाल में नियुक्त राज्यपालों को हटाने का विवाद न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ गया है.
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएम लोढा ने यह मामला पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेज दिया है क्यों कि यह संविधान के अनुच्छेद 156 (राज्यपाल का कार्यकाल) की व्याख्या से जुड़ा मामला है. 

इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही न्यायाधीशों ने टिप्पणी की कि राज्यपाल तो राष्ट्रपति की इच्छानुरूप ही पद पर रह सकते हैं और उनकी भावनाओं से कोई तो अवगत कराएगा क्योंकि वह खुद तो फोन नहीं करेंगे.
 
राज्यपालों को उनके पद से हटाने का मामला वास्तव में बहस का मुद्दा बनता जा रहा है. जब कभी भी केंद्र में सरकारें बदलती है तो वे अपने पूर्ववर्ती सरकारों  द्वारा नियुक्त राज्यपालों को उनके पद से हटाने का कुत्सित प्रयास करती रहती हैं. तथा उन पदों पर अपने मन पसंद लोगों की नियुक्त करती रहती हैं. इन मामलों पर कई बार विपक्ष की राजनीतिक पार्टियां हो -हल्ला मचाती है.
 
इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ.  वर्ष 2014 में हुए 16वें लोक सभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाली राजग (एनडीए) सरकार ने अपने पूर्ववर्ती संप्रग (यूपीए) सरकार के कार्यकाल में नियुक्त राज्यपालों को उनके पदों से अप्रत्यक्ष रूप से पदच्युत कर रही है. परिणाम स्वरूप यह मामला विवाद का विषय बन गया है. 

यदि हम संवैधानिक पहलू पर विचार करें तो ज्ञातव्य है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 155 में  राज्यपाल की नियुक्ति से सम्बंधित और अनुच्छेद 156 में राज्यपाल के कार्यावधि से सम्बंधित प्रावधान है. 

भारतीय संविधान के अनुसार राज्यपाल की नियुक्त राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर करता है. उसका कार्यकाल पांच वर्ष का होता है. परन्तु राष्ट्रपति उसे कभी भी उसके पद हटा सकता है  अर्थात राज्यपाल का कार्यकाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत तक होता है.
 
विदित हो कि राजग (एनडीए) के सत्ता में आने के बाद केंद्र सरकार ने मिजोरम की राज्यपाल कमला बेनीवाल और पुडुचेरी के राज्यपाल वीरेंद्र कटारिया को बर्खास्त किया था. कहते हैं कि राजग के सत्ता में आने के बाद गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने संप्रग के कार्यकाल में नियुक्त कुछ राज्यपाल को पद से इस्तीफा देने के लिए फोन किया था.
 
राजग के सत्ता में आने के बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन, नगालैंड के राज्यपाल अश्विनी कुमार, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल शेखर दत्त ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.



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