इम्फाल के जिला एवं सत्र न्यायालय ने मानवाधिकार कार्यकर्ता ईरोम शर्मिला को रिहा करने का आदेश दिया-(23-AUG-2014) C.A

| Saturday, August 23, 2014
इम्फाल के जिला एवं सत्र न्यायालय, मणिपुर ने 19 अगस्त 2014 को भूख हडताल के जरिए आत्महत्या करने के प्रयास के आरोप को खारिज करते हुए ईरोम शर्मिला चानू के रिहाई के आदेश जारी कर दिए.
ईरोम शर्मिला चानू KA आत्महत्या के प्रयास करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और एक जेल अस्पताल भेज दिया गया था जहां दिन में कई बार उन्हें नाक में ड्रिप के जरिए जबरदस्ती खाना खिलाया जाता था.

ईरोम शर्मिला चानू के बारे में
•    ईरोम शर्मिला चानू का जन्म 14 मार्च 1972 को हुआ था और वे भारत के राज्य मणिपुर की एक नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, राजनीतिक कार्यकर्ता और कवि हैं.
•    वे मणिपुर या मेनगाउबी की आयरन लेडी के नाम से भी जानी जाती हैं.
•    उन्होंने विश्व की सबसे लंबी भूख हड़ताल की है.
•    शर्मिला ने मणिपुर में अपने घर के निकट वाले बस स्टॉप पर सेना द्वारा दस लोगों की हत्या की साक्षी बनने के बाद नवंबर 2000 में सशस्त्र बल (विशेष अधिकारों) अधिनियम (एएफएसपीए), 1958 के निरसन की मांग करते हुए भूख हड़ताल शुरु की थी.
सशस्त्र बल (विशेष अधिकारों) अधिनियम (एएफएसपीए), 1958
•    यह अधिनियम असम, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा एवं अरुणाचल प्रदेश एवं मिजोरम के संघ शासित प्रदेश के अशांत क्षेत्रों में सेना को विशेषाधिकार प्रदान करता है.
•    यह सेना को बिना किसी वारंट के ऐसे किसी भी व्यक्ति जिसने संज्ञेय अपराध किया हो या जिस पर यह उचित संदेह मौजूद हो कि उसने संज्ञेय अपराध करने के लिए प्रतिबद्ध था, की गिरफ्तारी का हक देता है, और सेना इस अधिकार का प्रयोग ऐसी गिरफ्तारियों को प्रभावी बनाने में कर सकती है,
•    सेना द्वारा अशांत क्षेत्रों में पांच या ज्यादा लोगों के एक जगह इक्ट्ठा होने पर लगी रोक या किसी भी प्रकार के कानून या व्यवस्था के आदेश के उल्लंघन के मामले में या हथियारों को ले जाने या ऐसी चीजें ले जाने जिससे हथियार बनाए जा सकें या हथियार, गोला बारूद या विस्फोटक पदार्थों को ले जाने वाले ऐसे किसी भी व्यक्ति को उन्हें गोली मारने, चाहे उसकी वजह से मौत ही क्यों न हो जाए या अन्य प्रकार से बल प्रयोग करने का भी हक देती है.


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