स्विट्जरलैंड ने कर मामलों से जुड़े प्रशासनिक सहयोग के संघीय कानून में बदलाव किया-(21-AUG-2014) C.A

| Thursday, August 21, 2014
स्विट्जरलैंड ने अंतरराष्ट्रीय कर मामलों से जुड़े कानून में बदलाव किया. इससे सहयोगी देशों को स्विस बैंकों में छिपे अपने-अपने काले धन की जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी.
विदित हो कि स्विट्जरलैंड ने इस कानून में बदलाव भारत और अन्य देशों के दबाव में किया.
उपरोक्त कानून, जो 01 अगस्त 2014 से प्रभाव में आया, के द्वारा भारत और अन्य देशों को स्विटरजलैंड से अपने संदिग्ध खाताधारकों की साझा सूचना मांगने की सुविधा दी गई है.
उपरोक्त कानून को संशोधित करने के लिए इस कानून की 10 धाराओं में संशोधन किया गया. इस कानून में बदलाव के बाद बाहरी देशों द्वारा खाताधारकों के संबंध में मांगी गयी सूचनाओं की गोपनीयता की भी व्यवस्था दी गई है. इन गोपनीयता शर्तों का उल्लंघन करने पर एफटीए (फेडरल टैक्स एडमिनस्ट्रेशन) द्वारा मांगी गई सूचना देने से इंकार भी किया जा सकता है.
कानून की राह में बाधाएं:
इस कानून में यह भी प्रावधान है कि संबंधित देश को मांगी गई सूचना की विश्वसनीयता भी सुनिश्चित करनी होगी और उस देश के पास दिए गए निर्णय के विरुद्ध अपील करने का और संबंधित कागजातों के निरीक्षण करने का विकल्प भी उपलब्ध होगा.

इस कानून में यह भी प्रावधान किया गया है कि स्विस प्राधिकरण को किसी आवेदन के संदिग्ध होने अथवा वास्तविकता में संदेह होने पर अथवा स्विस कानून के अनुसार वह सूचना अपराधिक कार्य से संबंधित होने पर उस पर विचार नही किया जाएगा.
भारत पर प्रभाव:
जहाँ एक ओर इस कानून से भारत और अन्य देशों को काला धन रखने वालो का पता लगाने में मदद मिलेगी वहीं दूसरी ओर कथित एचएसबीसी सूची (इस सूची के बारे में स्विट्जरलैंड का कहना है कि यह उसके एक भगोड़े कर्मचारी द्वारा चुराई गई सूची है)के बारे में जानकारी जुटाने के प्रयासों को को विफल भी किया गया है.


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