मशहूर इतिहासकार बिपिन चंद्र का 86 वर्ष की
आयु में 30 अगस्त 2014 को गुड़गांव में
निधन हो गया. वह जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और नेशनल बुक ट्रस्ट
के अध्यक्ष रहे थे.
बिपिन चंद्र 86 वर्ष के
थे और काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. उनके परिवार में उनकी पत्नी का निधन चार साल
पहले हो गया था, उनका केवल एक बेटा है जो विदेश में रहता है.
बिपिन चंद्र के बारे में
• बिपिन चंद्र का जन्म वर्ष 1928 में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में हुआ था.
• चंद्र ने अमेरिका के प्रख्यात स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है.
• चंद्र ने 'आधुनिक भारत का इतिहास', 'भारत का स्वतंत्रता संघर्ष' जैसी कई बेहतरीन पुस्तकें लिखी हैं.
• चंद्र ने इतिहास पर करीब 20 पुस्तकें लिखी है, जिनमें आधुनिक भारत का इतिहास, आधुनिक भारत और आर्थिक राष्ट्रवाद, सांप्रदायिकता और भारतीय वामपंथ पर उनकी किताबें चर्चित थीं.
• इसके अलावा वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य भी थे. उन्होंने जय प्रकाश नारायण और आपातकाल पर भी किताबें लिखी थी.
• उनकी शुरुआती अहम किताबों में 'द राइज़ एंड ग्रोथ ऑफ इकॉनॉमिक नेशनलिज़्म' भी शामिल है. 'इंडिया आफ़्टर इंडिपेंडेंस' और 'इंडियाज स्ट्रगल फॉर इंडिपेंडेंस' नामक उनकी किताबें भी ख़ासी चर्चित रही हैं.
• चंद्र आधुनिक भारत के आर्थिक और राजनीतिक इतिहास के विशेषज्ञ माने जाते थे. उनकी विशेषज्ञता राष्ट्रीय आंदोलन पर भी थी.
• उन्हें महात्मा गांधी के दर्शन के मामले में भी देश के सबसे बड़े जानकारों में एक माना जाता था.
• प्रोफेसर चंद्र जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में अध्यक्ष रह चुके थे और उनकी गिनती देश के चोटी के इतिहासकारों में होती थी.
• बिपिन चंद्र संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष भी बनाये गये थे और वर्ष 2012 तक इस पद पर रहे.
बिपिन चंद्र के बारे में
• बिपिन चंद्र का जन्म वर्ष 1928 में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में हुआ था.
• चंद्र ने अमेरिका के प्रख्यात स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है.
• चंद्र ने 'आधुनिक भारत का इतिहास', 'भारत का स्वतंत्रता संघर्ष' जैसी कई बेहतरीन पुस्तकें लिखी हैं.
• चंद्र ने इतिहास पर करीब 20 पुस्तकें लिखी है, जिनमें आधुनिक भारत का इतिहास, आधुनिक भारत और आर्थिक राष्ट्रवाद, सांप्रदायिकता और भारतीय वामपंथ पर उनकी किताबें चर्चित थीं.
• इसके अलावा वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य भी थे. उन्होंने जय प्रकाश नारायण और आपातकाल पर भी किताबें लिखी थी.
• उनकी शुरुआती अहम किताबों में 'द राइज़ एंड ग्रोथ ऑफ इकॉनॉमिक नेशनलिज़्म' भी शामिल है. 'इंडिया आफ़्टर इंडिपेंडेंस' और 'इंडियाज स्ट्रगल फॉर इंडिपेंडेंस' नामक उनकी किताबें भी ख़ासी चर्चित रही हैं.
• चंद्र आधुनिक भारत के आर्थिक और राजनीतिक इतिहास के विशेषज्ञ माने जाते थे. उनकी विशेषज्ञता राष्ट्रीय आंदोलन पर भी थी.
• उन्हें महात्मा गांधी के दर्शन के मामले में भी देश के सबसे बड़े जानकारों में एक माना जाता था.
• प्रोफेसर चंद्र जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में अध्यक्ष रह चुके थे और उनकी गिनती देश के चोटी के इतिहासकारों में होती थी.
• बिपिन चंद्र संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष भी बनाये गये थे और वर्ष 2012 तक इस पद पर रहे.
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