केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 21 अगस्त 2014 को पंजाबी फिल्म कौम दे हीरे की रिलीज पर
रोक लगा दी. इस फिल्म में वर्ष 1984 में पूर्व भारतीय
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले दो सिख अंगरक्षकों बेअंत सिंह और
सतवंत सिंह की महिमा को दर्शाया गया है. यह फिल्म 22 अगस्त 2014
को रिलीज होनी थी.
यह फिल्म 22 अगस्त 2014
को रिलीज होने वाली थी जिस पर विवाद के बाद रोक लगा दी गई. पंजाब की
कांग्रेस और भाजपा इकाई ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की है.
फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के सिलसिले में, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को लिखे पत्र में गृह मंत्रालय ने कहा कि
फिल्म की सामग्री में से कुछ अत्यंत आपत्तिजनक होने के कारण यह फिल्म पंजाब और
उत्तर भारत के अन्य राज्यों में सांप्रदायिक सौहार्द को प्रभावित कर सकती है.
हालांकि, फिल्म के निर्माता,
प्रदीप बंसल, ने कहा कि यह फिल्म सच्ची घटना
और जस्टिस ठक्कर आयोग के निष्कर्षों पर आधारित है. इस आयोग का गठन इंदिरा गांधी की
हत्या की जांच के लिए किया गया था. इस फिल्म के निर्देशक रविन्द्र सिंह रवि है.
इंदिरा गांधी की हत्या की पृष्ठभूमि
इंदिरा गांधी को वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के उद्देश्य से उनके सिख अंगरक्षक द्वारा गोली मार दी गई थी जिसमें पंजाब आतंकवादियों को बाहर निकलवाने के लिए सैनिकों ने अमृतसर, पंजाब के स्वर्ण मंदिर (सिख समुदाय का सबसे पवित्र मंदिर) में प्रवेश किया था.
इंदिरा गांधी को वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के उद्देश्य से उनके सिख अंगरक्षक द्वारा गोली मार दी गई थी जिसमें पंजाब आतंकवादियों को बाहर निकलवाने के लिए सैनिकों ने अमृतसर, पंजाब के स्वर्ण मंदिर (सिख समुदाय का सबसे पवित्र मंदिर) में प्रवेश किया था.
इंदिरा गांधी की दो सिख अंगरक्षकों बेअंत सिंह और सतवंत
सिंह द्वारा हत्या कर दी गई थी. सतवंत सिंह बाद में फांसी पर लटका दिया गया था, जबकि बेअंत सिंह, शीघ्र ही इंदिरा गांधी की हत्या के
बाद पुलिस द्वारा मारा गया था.
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बदले की भावना से उत्पन्न
हुए दंगों में हजारों सिख मारे गए थे.
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