रजनी राजदान ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अध्यक्ष पद की शपथ 16 अगस्त 2014 को ली. यूपीएससी के निवर्तमान अध्यक्ष
प्रो. डी.पी. अग्रवाल ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. रजनी राजदान ने प्रो. डी. पी. अग्रवाल का स्थान लिया.
रजनी राजदान की नियुक्त राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 14 अगस्त 2014 को की. संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के
अध्यक्ष का कार्यकाल छह वर्ष का होता है.
रजनी राजदान यूपीएससी के अध्यक्ष के तौर पर छह वर्ष तक
काम करेंगी. रजनी राजदान को 19 अप्रैल 2010
को यूपीएससी का सदस्य नियुक्त किया गया था. प्रो. अग्रवाल 16 अगस्त 2008 को
यूपीएससी के अध्यक्ष बनाए गए थे.
रजनी राजदान के बारे में
• इनका जन्म 2 अक्टूबर 1949 को हुआ था.
• वे हरियाणा कैडर (1973 बैच) की पूर्व आईएएस अधिकारी हैं और नवंबर 2009 में केंद्र सरकार के तहत आने वाले लोक शिकायत एवं पेंशन विभाग के प्रशासनिक सुधार विभाग के सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुईं थीं.
• वे हरियाणा सरकार में सहयोग एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य की सचिव, आवास की प्रधान सचिव और हरियाणा आवास बोर्ड की अध्यक्ष रह चुकी हैं.
• उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं.
• इनका जन्म 2 अक्टूबर 1949 को हुआ था.
• वे हरियाणा कैडर (1973 बैच) की पूर्व आईएएस अधिकारी हैं और नवंबर 2009 में केंद्र सरकार के तहत आने वाले लोक शिकायत एवं पेंशन विभाग के प्रशासनिक सुधार विभाग के सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुईं थीं.
• वे हरियाणा सरकार में सहयोग एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य की सचिव, आवास की प्रधान सचिव और हरियाणा आवास बोर्ड की अध्यक्ष रह चुकी हैं.
• उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं.
यूपीएससी के बारे में
पहली बार 1 अक्टूबर 1926 को देश में लोक सेवा आयोग की स्थापना हुई थी. हालांकि, इसकी सीमित सलाहकार कार्य लोगों की आकांक्षाओँ को पूरा करने में विफल रहा औऱ हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं ने इस संबंध में लगातार बदलाव की मांग करते रहे. परिणामस्वरूप भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत संघीय लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई.
पहली बार 1 अक्टूबर 1926 को देश में लोक सेवा आयोग की स्थापना हुई थी. हालांकि, इसकी सीमित सलाहकार कार्य लोगों की आकांक्षाओँ को पूरा करने में विफल रहा औऱ हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं ने इस संबंध में लगातार बदलाव की मांग करते रहे. परिणामस्वरूप भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत संघीय लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई.
इस अधिनियम के तहत, पहली बार,
प्रांतीय स्तर पर लोक सेवा आयोगों के गठन का भी प्रावधान किया गया
था.
इस संस्था को 26 जनवरी 1950
को, एक स्वायत्त इकाई के रूप में संवैधानिक
दर्जा प्रदान किया गया और इसे– संघ लोक सेवा आयोग का नाम
मिला.
संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना भारतीय संविधान के अनुच्छेद
315 के तहत की गई है. इस आयोग में एक अध्यक्ष और दस
सदस्य होते हैं.
अध्यक्ष और सदस्यों से संबंधित नियम और शर्तों का संचालन संघ लोक सेवा आयोग (सदस्य) अधिनियम, 1969 के तहत किया जाता है.
अध्यक्ष और सदस्यों से संबंधित नियम और शर्तों का संचालन संघ लोक सेवा आयोग (सदस्य) अधिनियम, 1969 के तहत किया जाता है.
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