भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 14 अगस्त 2014
को देश में सिगरेट और बीड़ी पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र और
राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया. यह नोटिस एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान
जारी किया गया जिसमें भारत में सिगरेट और बीड़ियों पर प्रतिबंध की मांग की गई थी.
यह नोटिस मुख्य न्यायाधीश आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ
ने जारी किया था.
जनहित याचिका फिल्म निर्माता सुनील राजपाल और वकील आदित्य
अग्रवाल द्वारा दायर की गई थी. अपनी याचिका में याचिकाकर्ताओँ ने दावा किया था कि
हर वर्ष ध्रूमपान संबंधित बीमारियों के इलाज पर करीब 30000
करोड़ रुपयों का निवेश किया जा रहा है.
पृष्ठभूमि
सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन और व्यापार एवं
वाणिज्य के विनियमन, आपूर्ति और वितरण निषेधाज्ञा) अधिनियम,
2003 के मुताबिक शैक्षणिक संस्थानों, हवाई
अड्डों के 100 मीटर के दायरे और नाबालिगों को सिगरेट एवं
बीड़ी बेचने पर प्रतिबंध लगा हुआ है. इसके अलावा, छह वर्ष
पहले, सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर भी प्रतिबंध लगा दिया
गया था लेकिन अभी भी लोगों को सार्वजनिक स्थलों पर आराम से धूम्रपान करते हुए देखा
जा सकता है.
हर वर्ष तंबाकू छह मिलियन लोगों की जान ले लेता है और
इसलिए इसे दुनिया भर में होने वाली मौतों की मुख्य वजह माना जा रहा है.
0 comments:
Post a Comment