ईरान में जन्मीं गणितज्ञ मरियम मिर्जाखानी 13 अगस्त 2014 को फील्ड्स मेडल जीतने वाली पहली महिला
बन गईं. यह पुरस्कार उन्हें ज्यामिति, खासकर घुमावदार सतहों
की समरूपता, के अध्ययन के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए
दिया गया है.
मिर्जाखानी का काम क्रिप्टोग्राफी के अध्यय औऱ प्राइम
(अभाज्य) नंबर के साथ भौतिकी और क्वांटम फील्ड सिद्धांत के निहितार्थ है.
वे फील्ड्स मेडल 2014 के चार गणितज्ञों
में से एक हैं. अन्य पुरस्कृत गणितज्ञ हैं-
• डायनामिकल सिस्टम्स
थेयरी में योगदाने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमैटिक्स ऑफ जूस्सेईयू के अर्तुर
अवीला
• ज्यामीतिय की संख्या
में नए अप्रोच विकसित करने के लिए प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के मंजुल भार्गव
• थेयरी ऑफ स्टोकेस्टिक
पार्शियल डिफरेंशियल इक्वेशंस में योगदान के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक के मार्टिन
हेरर
मरियम मिर्जाखानी
मरियम मिर्जाखानी का जन्म तेहरान में 1977
में हुआ था. शुरुआत में उन्होंने लेखिका बनना चुना लेकिन गणितीय
सवालों को हल करने की उनके प्रवाह ने उनकी रूचि बदल दी. उसके बाद उन्हें गणित पसंद
आने लगा.
मरियम मिर्जाखानी ने थेयरी ऑफ मॉड्यूली स्पेस ऑफ रेमन्न
सरफेस में कई योगदान किया है. उन्होंने साबित किया कि विलियम थ्रूस्टन का टीकूमुलर
स्पेस पर सिस्टम अर्थक्वेक फ्लो अरगोडिक है.
उन्होंने 1994 और 1995
में अंतरराष्ट्रीय मैथेमैटिकल ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीता था. साल
2013 में उन्हें गणित में एएमएस रूथ लिटिलसाट्टेर पुरस्कार
और एएमएस ब्लूमेंथल अवार्ड 2009 मिला था.
फील्ड्स मेडल
1936 में स्थआपित फील्ड्स मेडल को गणित का
नोबल पुरस्कार भी कहा जाता है. इस पुरस्कार में एक पदक होता है जिस पर आर्किमिडीज का सिर उकेरा गया होता है और बतौर पुरस्कार राशि 8000
ब्रिटिश पाउंड दिए जाते हैं. फील्ड्स मेडल 2014 दक्षिण कोरिया के सिओल में आयोजित किया गया और इसकी घोषणा इंटरनेशनल
कांग्रेस ऑफ मैथेमेटिशियंस (आईसीएम) में की गई थी.
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