भारतीय मूल के गणितज्ञ मंजुल भार्गव को ‘फील्ड मेडल’, जिसे ‘गणित का
नोबेल पुरस्कार’ भी कहा जाता है, और
भारतीय मूल के ही सुभाष खोट को ‘रॉल्फ नेवानलिन्ना पुरस्कार’
से सम्मानित किया गया. यह दोनों पुरस्कार इंटरनेशनल मैथमेटिकल
यूनियन (आईएमयू) ने 13 अगस्त 2014 को सियोल
में आयोजित इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ मैथेमेटिक्स-2014 में
दिया.
मंजुल भार्गव उन चार विजेताओं में से एक थे जिन्हें प्रदान किए जाने
वाले इस फील्ड मेडल के लिए चुना गया. अन्य तीन- ईरानी महिला मरियम मिर्जाखानी, ब्राजील के आर्तुर अविला और ऑस्ट्रिया के मार्टिन हेयरर हैं. इसके साथ ही
ईरान में जन्मीं गणितज्ञ स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मरियम मिर्जाखानी यह
पुरस्कार पाने वाली पहली ईरानी महिला बन गईं.
मंजुल भार्गव को फील्ड मेडल ज्यामितीय संख्या में नई पद्धति को विकसित करने के लिए दिया गया जबकि सुभाष खोट को नेवानलिन्ना पुरस्कार यूनिक गेम्स की समस्याओं को परिभाषित करने, इसकी जटिलताओं को समझने और इस समस्या का सबसे सटीक हल ढूंढने के लिए प्रदान किया गया.
सुभाष खोट
सुभाष खोट महाराष्ट्र, भारत मूल के हैं. सुभाष खोट न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी करेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमेटिकल साइंसेज में कंप्यूटर साइंस विभाग में प्रोफेसर हैं. उन्होंने प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की.
मंजुल भार्गव को फील्ड मेडल ज्यामितीय संख्या में नई पद्धति को विकसित करने के लिए दिया गया जबकि सुभाष खोट को नेवानलिन्ना पुरस्कार यूनिक गेम्स की समस्याओं को परिभाषित करने, इसकी जटिलताओं को समझने और इस समस्या का सबसे सटीक हल ढूंढने के लिए प्रदान किया गया.
सुभाष खोट
सुभाष खोट महाराष्ट्र, भारत मूल के हैं. सुभाष खोट न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी करेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमेटिकल साइंसेज में कंप्यूटर साइंस विभाग में प्रोफेसर हैं. उन्होंने प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की.
मंजुल भार्गव
मंजुल भार्गव जयपुर, राजस्थान (भारत) मूल के हैं. इनका जन्म वर्ष 1974 में कनाडा में हुआ था. भार्गव अमेरिका में पले बढ़े. उन्होंने वर्ष 2001 में प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वहीं वर्ष 2003 में प्रोफेसर बने. वह एक तबला वादक भी हैं. उनकी मां मीरा भार्गव भी मैथेमैटिशियन हैं और उनके पिता कैमिस्ट हैं.
मंजुल भार्गव के अन्य पुरस्कार
मंजुल भार्गव को मैथेमेटिकल एसोसिएशन ऑफ अमेरिका से मर्टेन हासे पुरस्कार (2003), शस्त्र रामानुजन पुरस्कार (2005), नंबर थ्योरी में अमेरिकन मैथेमेटिकल सोसाइटी से कोल पुरस्कार (2008) और इन्फोसिस पुरस्कार (2012) से भी सम्मानित किया जा चुका है. वर्ष 2013 में उन्हें अमेरिकी नेशनल एकेडमी के लिए भी चुना गया.
फील्ड मेडल और रॉल्फ नेवानलिन्ना पुरस्कार
फील्ड मेडल की शुरुआत वर्ष 1936 में जबकि रॉल्फ नेवानलिन्ना पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 1982 में की गई थी. इन पुरस्कारों के लिए चयनित लोगों की उम्र सीमा निर्धारित है. 40 वर्ष से कम उम्र के उम्मीदवार ही इसके लिए योग्य होते हैं. फील्ड मेडल प्रति चार वर्ष बाद दिया जाता है. फील्ड मेडल को गणित का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है.
मंजुल भार्गव जयपुर, राजस्थान (भारत) मूल के हैं. इनका जन्म वर्ष 1974 में कनाडा में हुआ था. भार्गव अमेरिका में पले बढ़े. उन्होंने वर्ष 2001 में प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वहीं वर्ष 2003 में प्रोफेसर बने. वह एक तबला वादक भी हैं. उनकी मां मीरा भार्गव भी मैथेमैटिशियन हैं और उनके पिता कैमिस्ट हैं.
मंजुल भार्गव के अन्य पुरस्कार
मंजुल भार्गव को मैथेमेटिकल एसोसिएशन ऑफ अमेरिका से मर्टेन हासे पुरस्कार (2003), शस्त्र रामानुजन पुरस्कार (2005), नंबर थ्योरी में अमेरिकन मैथेमेटिकल सोसाइटी से कोल पुरस्कार (2008) और इन्फोसिस पुरस्कार (2012) से भी सम्मानित किया जा चुका है. वर्ष 2013 में उन्हें अमेरिकी नेशनल एकेडमी के लिए भी चुना गया.
फील्ड मेडल और रॉल्फ नेवानलिन्ना पुरस्कार
फील्ड मेडल की शुरुआत वर्ष 1936 में जबकि रॉल्फ नेवानलिन्ना पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 1982 में की गई थी. इन पुरस्कारों के लिए चयनित लोगों की उम्र सीमा निर्धारित है. 40 वर्ष से कम उम्र के उम्मीदवार ही इसके लिए योग्य होते हैं. फील्ड मेडल प्रति चार वर्ष बाद दिया जाता है. फील्ड मेडल को गणित का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है.
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