संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने 12 अगस्त 2014 को अपने आयोग के तीन सदस्यों को गाजा में
एक महीने तक चले संघर्ष में मानवाधिकारों के उल्लंघन और युद्ध अपराधों की जांच के
लिए नियुक्त किया है. यह पैनल जेरुसलेम सहित कब्जे वाले फिलिस्तीन में भी
मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करेगा. गाजा पट्टी में संघर्ष 13 जून 2014 को शुरु हुआ था.
आयोग की अध्यक्षता लंदन के मिडिलसेक्स यूनिवर्सिटी में
अंतरराष्ट्रीय अपारध कानून और मानवाधिकारों के कनाडा के प्रोफेसर विलियम शेशबास
करेंगें. अन्य दो सदस्य हैं यूनाइटेड किंग्डम (ब्रिटिश– लेबनीज वकील, अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों
के विशेषज्ञ) के अमला अलामुद्दीन और स्नीगल ( नस्लवाद, विद्वेष
और संबंधित असहिष्णुता के समकालीन रुपों पर 2002 से 2008
तक संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक–रैपोर्टर)
के डूडू डिनी.
पैनल को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के सभी उल्लंघन की
जांच का जिम्मा सौंपा गया है. आयोग उल्लंघन और अपराधों के तथ्यों और परिस्थितियों
की जांच करेगा और जिम्मेदारों की पहचान करेगा. यह दंड मुक्ती से बचने के लिए
जवाबदेही के उपायों की सिफारिश करेगा और जवाबदेहों की जवाबदेही सुनिश्चित करेगा.
इसके अलावा यह आने वाले समय में ऐसे हमलों से नागरिकों की रक्षा के तरीकों के बारे
में भी सुझाव देगा.
पैनलिस्टों के पिछले काम
• शेशबास ने वर्ष 2004 तक सिएरा लियोन सत्य एवं सुलह आयोग में काम किया था और ये मानवाधिकारों के लिए तकनीकी सहयोग पर संयुक्त राष्ट्र स्वैच्छिक कोष के सदस्य भी थे.
• वर्ष 2011 से 2014 तक डीनी ने भी कोट डी आइवर में मानवाधिकार स्थिति पर स्वतंत्र विशेषज्ञ के तौर पर काम किया है.
• अलामुद्दीन ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में काम किया है औऱ ये लेबनान के लिए विशेष न्यायाधिकरण के अभियोजक कानूनी सलाहकार भी रहे हैं.
पैनलिस्टों के पिछले काम
• शेशबास ने वर्ष 2004 तक सिएरा लियोन सत्य एवं सुलह आयोग में काम किया था और ये मानवाधिकारों के लिए तकनीकी सहयोग पर संयुक्त राष्ट्र स्वैच्छिक कोष के सदस्य भी थे.
• वर्ष 2011 से 2014 तक डीनी ने भी कोट डी आइवर में मानवाधिकार स्थिति पर स्वतंत्र विशेषज्ञ के तौर पर काम किया है.
• अलामुद्दीन ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में काम किया है औऱ ये लेबनान के लिए विशेष न्यायाधिकरण के अभियोजक कानूनी सलाहकार भी रहे हैं.
पूछताछ पर आयोग गठित करने का फैसला यूनएनएचआरसी ने 23 जुलाई 2014 को अपने 21वें सत्र
में इसके पक्ष में 29 देशों के वोटिंग करने के बाद लिया.
इसके विरोध में सिर्फ एक वोट पड़ा जो कि संयुक्त राज्य अमेरिका का था. इस वोटिंग
में 17 देशों ने हिस्सा नहीं लिया.
आयोग के सदस्यों की नियुक्ति एचआरसी रिजोल्यूशन एस–21/1
के तहत की गई है. इसी रिजोल्यूशन में यह अनुरोध किया गया है कि आयोग
अपनी जांच रिपोर्ट मानवाधिकार परिषद को मार्च 2015 में उसके
अट्ठाइसवें सत्र में लिखित रूप में प्रस्तुत करे. इसने मानवाधिकार के उच्च–
आयुक्त को रिजोल्यूशन के कार्यान्वयन की रिपोर्ट देने का भी अनुरोध
किया है. इसमें पूर्वी जेरुसलेम समेत अधिकृत फिलिस्तीनी सीमा में अंतरराष्ट्रीय
मानवीय कानून और मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने के
संबंध में सितंबर 2014 में होने वाले परिषद के सत्ताइसवें
सत्र में उठाए गए कदम के बारे में बताने की बात कही गई है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष बाउडेलारी
डॉन्ग एल्ला हैं.
पृष्ठभूमि
मानवीय मामलों के समन्वय (ओसीएचए) के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय का कहना है कि गाजा पट्टी में संघर्ष शुरु होने के बाद से कम– से– कम 1948 फिलिस्तिनियों की मौत हो चुकी है जिनमें से अधिकांश नागरिक थे. दूसरी तरफ 67 इस्राइलियों की भी मौत हुई है.
पृष्ठभूमि
मानवीय मामलों के समन्वय (ओसीएचए) के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय का कहना है कि गाजा पट्टी में संघर्ष शुरु होने के बाद से कम– से– कम 1948 फिलिस्तिनियों की मौत हो चुकी है जिनमें से अधिकांश नागरिक थे. दूसरी तरफ 67 इस्राइलियों की भी मौत हुई है.
इसके अलावा, करीब 425000
लोग यूएन राहत और पूर्व के निकट (यूएनआरडब्लूए) फिलिस्तिनी
शर्णार्थियों के लिए कार्य एजेंसी , सरकारी आश्रय घरों या
मेजबान परिवारों में आश्रय ढूंढ रहे हैं. संघर्ष के दौरान हुए हमलों ने गाजा में
करीब 11855 घरों को तबाह कर दिया है.
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