एनपीए संबंधी दिशा-निर्देशों के नियम भारतीय रिज़र्व बैंक तय करेगा : गुजरात उच्च न्यायालय-(26-APR-2013) C.A

| Saturday, April 26, 2014
गुजरात उच्च न्यायालय ने वह अवधि निश्चित करने की भारतीय रिज़र्व बैंक की शक्ति 2 अप्रैल 2014 को बहाल कर दी, जिसके बाद अशोध्य ऋण (bad loan) को गैर निष्पादित संपत्ति (Non-performing Asset/(NPA) कहा जा सकता है. मुख्य न्यायाधीश भास्कर भट्टाचार्य और न्यायाधीश जेबी पारदीवाला की पीठ ने वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण एवं प्रतिभूति ब्याज का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (Securitization and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest/SARFAESI) की धारा 2(1)(ओ) को असंवैधानिक ठहराया.
गुजरात उच्च न्यायालय ने संसद द्वारा गैर निष्पादित संपत्ति (Non-performing Asset/(NPA) दिशा-निर्देश निश्चित करने की शक्ति भारतीय रिज़र्व बैंक से ले लेने को गलत बताया. वर्ष 2004 में अधिनियम में संशोधन होने तक भारतीय रिज़र्व बैंक बैंकिंग, गैर-बैंकिंग संस्थाओं और प्रतिभूतिकरण एजेंसियों के लिए वह अवधि निश्चित करने वाला विनियामक था, जिसके बाद ऋण गैर निष्पादित संपत्ति (Non-performing Asset/(NPA)कहा जा सकता है. संशोधन के बाद वित्तीय संस्थाएँ एनपीए के लिए अपने स्वयं के विनियम तय करने के लिए स्वतंत्र हो गईं, जो हर फर्म के लिए अलग से तय किया जाता था.
   
वर्ष 2004 में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) हेतु तय की गई अवधि 
बैंकों के लिए – 90 दिन  
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए – 180 दिन
  
गुजरात उच्च न्यायालय का यह निर्णय बैंकों और एनबीएफसी के विभिन्न चूककर्ताओं द्वारा हर संस्था द्वारा अपनी स्वयं की एनपीए अवधि तय करने को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिकाओं पर आया. उन्होंने इससे समानता के अधिकार का उल्लंघन होने का दावा किया.   

वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण एवं प्रतिभूति ब्याज का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 बैंकों को जब्त करने और छोड़ देने की शक्तियाँ देता है, जिनके अंतर्गत बैंकों को चूककर्ता ऋणियों को अपनी देनदारियाँ 60 दिन में पूरी करने का लिखित नोटिस देना होता है. यदि ऋणी नोटिस का पालन करने में असफल रहते हैं, तो बैंक निम्नलिखित में से एक या अधिक उपायों का सहारा ले सकता है:    
ऋण की प्रतिभूति का कब्जा लेना 
प्रतिभूति के अधिकार को बेचना, पट्टे पर देना या समनुदेशित करना  
उसका प्रबंधन करना या उसके प्रबंधन के लिए किसी को नियुक्त करना


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