माउंट एवरेस्ट पर हिमस्खलन से 12 शेरपा गाइड मारे गए-(21-APR-2014) C.A

| Monday, April 21, 2014
माउंट एवरेस्ट पर हुए विशाल हिमस्खलन से 18 अप्रैल 2014 को 12 नेपाली गाइड मारे गए एवं कई अन्य घायल हो गए. यह हिमस्खलन विश्व की सर्वोच्च शिखर पर घटित अब तक की सबसे भयंकर पर्वतारोही दुर्घटना थी. यह हिमस्खलन लगभग 5800 मीटर (19000 फीट) की ऊँचाई पर स्थित पॉपकॉर्न क्षेत्र के रूप में जाने जाने वाले क्षेत्र जो की दुर्गम खुंबू हिम सर्पण (icefall) के रास्तें पर स्थित है घटित हुआ.
नेपाली शेरपा गाइड और पर्वतारोही
शेरपा लोग पूर्वी नेपाल में एक नृजातीय समूह हैं जो विदेशी पर्वतारोहियों को पर्वत शिखर पर चढ़ने में मदद करते हैं. पिछले छह दशकों से, वे दुनिया के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई अभियान में पर्वतारोहियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं. 1953 से जब न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी और नेपाल के शेरपा तेनजिंग नोर्गे ने नेपाल तिब्बत सीमा पर माउंट एवरेस्ट की 8848 मीटर ऊँची शिखर तक पहुँचने में कामयाबी प्राप्त की थी, तब से लगभग छह दशकों में  करीब चार हज़ार लोग माउंट एवरेस्ट के शिखर पर चढ़ाई कर चुके हैं. 

माउंट एवरेस्ट पर घटित कुछ भीषण त्रासदियाँ निम्न हैं:-

•    11 मई 1996 को आए बर्फ के तूफान (स्नो स्टॉर्म) में आठ पर्वतारोहियों की जान गयी. इस त्रासदी पर जॉन क्रकौर जो एक अमेरिका पर्वतारोहण पत्रकार हैं ने इन टू थिन एयरनमक पुस्तक लिखी जो की सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तक रही. 

•    1970 का हिमस्खलन जिसमें छह नेपाली गाइड मारे गए थे.

हिमस्खलन क्या है? 

हिमस्खलन बर्फ का ढलुआ सतह के सहारे तेजी से फिसलना हैं इसको स्नो स्लिप या स्नो स्लाइड भी कहते हैं. स्लैब हिमस्खलन में यांत्रिक विफलता, एवं बर्फ की मात्र बढ़ने से हिमस्खलन के दर बढ़ जाती हैं. 

प्राकृतिक हिमस्खलन का दूसरा बड़ा कारण स्नो पैक में हो रहे रूपांतरित परिवर्तन जैसे सूर्यताप से इसका पिघलना, भूकंप, शैल सर्पण (रॉक फॉल) एवं हिम सर्पण (स्नो फॉल) हैं. हिमस्खलन को कृत्रिम रूप से बढ़ाने वाले तत्वों में स्कीयर, स्नोमोबाइल, और नियंत्रित विस्फोटक शामिल हैं.जब हिम वायु में हिम मिश्रण से तेज गति युक्त होकर पर्याप्त गति से गमन करता हैं, तो हिमस्खलन का निर्माण होता हैं जो की गुरुत्वाकर्षण धारा के समान होता हैं.


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