जुलाई-सितंबर 2013 की तिमाही में देश का चालू खाते का घाटा (कैड) घटकर जीडीपी का 1.2 प्रतिशत रहा-(04-DEC-2013) C.A

| Wednesday, December 4, 2013
देश का चालू खाते का घाटा (कैड) वित्तवर्ष 2013-14 की जुलाई-सितंबर की तिमाही में घटकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.2 प्रतिशत ( पांच अरब बीस करोड़ डालर) पर आ गया. इसका कारण निर्यात में वृद्धि और सोने के आयात में कमी रहा. यह वर्ष 2010 के बाद सबसे कम है. वित्तवर्ष 2012-13 की दूसरी तिमाही में चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5 प्रतिशत (लगभग 21 अरब डालर) था. यह आंकड़े मुंबई में 2 दिसंबर 2013 को जारी किए गए.

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार व्यापार घाटे में गिरावट तथा शुद्ध अदृश्य प्राप्तियों में बढ़ोतरी की वजह से 2013-14 की पहली छमाही में कैड घटकर 26.9 अरब डॉलर या जीडीपी का 3.1 प्रतिशत रह गया. पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में कैड 37.9 अरब डॉलर या जीडीपी का 4.5 फीसद रहा था.

अप्रैल-सितंबर 2013 के दौरान चालू खाते का घाटा (कैड)  नीचे आने के बावजूद इस दौरान 10.7 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा भंडार निकासी हुई, जबकि वित्तवर्ष 2012-13 की समान अवधि में इसमें 40 करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी हुई थी. 

निर्यात में बढ़ोतरी के अलावा रिजर्व बैंक व सरकार द्वारा किए गए उपायों से सोने के आयात में भारी गिरावट आई. निर्यात (एक्सपोर्ट) में सुधार और सोने का आयात घटने से कैड की स्थिति सुधरी है.

वित्तवर्ष 2012-13 में कैड में सोने के आयात का मुख्य योगदान था.
 
भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को भी उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में कैड 56 अरब डॉलर रहेगा, जो पिछले वित्त वर्ष में 88.2 अरब डॉलर या जीडीपी के 4.8 फीसद के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया था. 

कैड में कमी से डॉलर के मुकाबले रुपये को मजबूती मिलेगी. 

चालू खाते का घाटा (कैड) 
विदेशी मुद्रा के बाहर जाने और देश में आने का अंतर चालू खाते का घाटा (कैड) कहलाता है


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