कन्नड़ कवि जीएस शिवरुद्रप्पा का लंबी बीमारी के बाद निधन-(24-DEC-2013) C.A

| Tuesday, December 24, 2013
कन्नड़ कवि जीएस शिवरुद्रप्पा का लंबी बीमारी के बाद 23 दिसंबर 2013 को निधन हो गया. वह 87 वर्ष के थे. कर्नाटक सरकार ने शिवरुद्रप्पा के सम्मान में दो दिनों का शोक घोषित किया है, और 24 दिसंबर 2013 को राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों, स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी घोषित कर दी.
जीएस शिवरुद्रप्पा से सम्बंधित मुख्य तथ्य 
जीएस शिवरुद्रप्पा को वर्ष 2006 में राज्य सरकार का राष्ट्र कवि सम्मान प्रदान किया गया.
जीएस शिवरुद्रप्पा राज्य सरकार का राष्ट्र कवि सम्मान पाने वाले तीसरे कवि थे.
जीएस शिवरुद्रप्पा से पहले केवी पुट्टप्पा और मंजेश्वरा गोविंद पई को राज्य सरकार का राष्ट्र कवि सम्मान प्रदान किया गया था.
जीएस शिवरुद्रप्पा  को वर्ष 1984 में उन्हें अपने कार्य काव्यार्थ चिंतन (Kavyartha Chintana) के लिए केन्द्र के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
जीएस शिवरुद्रप्पा  को वर्ष 1998 में भारत सरकार द्वारा पदम आवार्ड से सम्मानित किया गया.
जीएस शिवरुद्रप्पा वर्ष 1991 में दावणगेरे में आयोजित 61वें अखिल भरत कन्नड़ साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष थे.
जीएस शिवरुद्रप्पा ने मैसूर के महाराज कॉलेज में एक कन्नड़ व्याख्याता के रूप में अपना करियर शुरू किया.
जीएस शिवरुद्रप्पा हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय में कन्नड़ विभाग के अध्यक्ष रहे.
जीएस शिवरुद्रप्पा बेंगलुरू विश्वविद्यालय में कन्नड़ विभागाध्यक्ष भी रहे.
जीएस शिवरुद्रप्पा का जन्म शिमोगा जिले के शिकारीपुरा में 7 फरवरी 1926 को हुआ.
जीएस शिवरुद्रप्पा के परिवार में पत्नी, दो पुत्र और एक पुत्री हैं.

जीएस शिवरुद्रप्पा के साहित्यिक कार्य 
जीएस शिवरुद्रप्पा के 13 कविता संग्रह, एक दर्जन गद्य व शोध कृतियां, चार यात्रा वृत्तांत प्रकाशित हुए. समागना ( कविता संग्रह) और व्यक्तमध्य (निबंध संग्रह) उनकी प्रसिद्ध कृति है. इसके अलावा जीएस शिवरुद्रप्पा ने कला और सामाजिक मुद्दों पर ढेर सारे लेख लिखे.


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