भारत ने आतंकवाद ग्रस्त दक्षिणी सूडान से अपने सभी तेल– कर्मचारियों को वापस बुलाया-(27-DEC-2013) C.A

| Friday, December 27, 2013
भारत ने आतंकवाद ग्रस्त दक्षिणी सूडान से अपने सभी तेल कर्मचारियों को 23 दिसंबर 2013 को वापस बुला लिया. इस बीच देश में बढ़ती हिंसा के मद्देनजर दक्षिणी सूडान ने अपने सभी तेल कूपों को बंद कर  दिया है. ओएनजीसी विदेश लिमिटेड द्वारा सूडान के ग्रेटर नील तेल परियोजना और ब्लॉक 5  में प्रतिनियुक्त 11 कर्मचारियों को हवाईजहाज के जरिए वापस बुलाया गया.
वापस बुलाने की पूरी प्रक्रिया दो चरणों में हुई. हवाई जहाज से बाहर निकाले गए कर्मचारी  सुरक्षित भारत पहुंच गए. कंपनी ने अपने कर्मचारियों को वापस बुलाने की सभी तैयारियां की थीं क्योंकि दक्षिणी सूडान के उप राष्ट्रपति रीक माचर के वफादार विद्रोही सेनाओं ने यूनिटी स्टेट पर कब्जा कर लिया था जहां ज्यादातर तेल कंपनियां काम कर रही हैं. 
ओएनजीसी विदेश लिमिटेड भारत के स्वामित्व वाला तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की विदेशी शाखा है.
 
इससे पहले, यूनाइटेड किंग्डम ने दक्षिणी सूडान के जूबा में तख्तापलट के प्रास की सूचना के बाद हवाई जहाज भेजकर ब्रिटेन के लोगों को वापस बुलाया था.
 
पृष्ठभूमि 
वर्तमान में, दक्षिणी सूडान को अपने भूतपूर्व उप राष्ट्रपति रीक माचर के नेतृत्व में जातीय हिंसा का सामना करना पड़ रहा है. दक्षिणी सूडान की यह जंग 15 दिसंबर 2013 को शूरु हुई और अब तक इसने 500 लोगों की जान ले ली है, जिसमें भारतीय सैनिक भी हैं जो वहां संयुक्त राष्ट्र शांति दूत के तौर पर काम कर रहे थे.
 
राष्ट्रपति कीर, जो बहुमत वाले दिनका जातीय समूह के सदस्य हैं, ने उपराष्ट्रपति माचर को , जो नीर समुदार के हैं, को जुलाई 2013 में बर्खास्त कर दिया था. उन्हें तख्तापलट की कोशिश के आरोप में बर्खास्त किया गया था. माचर के मुताबिक, राष्ट्रपति अपने प्रतिद्वंद्वियों का सफाया करने की कोशिश कर रहे हैं.
 
नीर समुदाय दक्षिणी सूडान का दूसरा सबसे बड़ा जातीय समूह है. रीक माचर को 2005 में उपराष्ट्रपति बनाया गया था और साल 2011 में दक्षिणी सूडान की आजादी के बाद , राष्ट्रपति द्वारा बर्खास्त करने तक वे अपने पद पर बने रहे थे.


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