रायफल ‘एके 47’ के डिजाइनर मिखाइल क्लाश्निकोव का रूस के उद्मुर्सिया प्रांत स्थित अपने
गृह नगर इजेव्स्क में 23 दिसंबर 2013 को
निधन हो गया. वह 94 वर्ष के थे. ‘एके 47’
विश्व के सबसे खतरनाक हथियारों में से एक है. एके 47’ के नाम विश्व में सबसे अधिक लोगों की मौत का कारण बनने का रिकॉर्ड है.
मिखाइल क्लाश्निकोव को रूस के सबसे बड़े सम्मान ‘द हीरो ऑफ रसिया गोल्ड स्टार मेडल’ से सम्मानित किया
गया था.
मिखाइल क्लाश्निकोव ने कहा कि उन्हें अपने अविष्कार पर जितना गर्व था उतना ही यह देखकर दु:ख होता था कि अपराधी किस तरह इसका दुरुपयोग करते हैं.
कालाश्निकोव ने पहली मशीन गन का डिजाइन वर्ष 1942 में बनाया था. उस समय द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वह सोवियत यूनियन की रेड आर्मी में टैंक कमांडर थे. वर्ष 1947 तक सोवियत मिलिट्री सर्विस में एके-47 को अपना लिया गया था.
वर्ष 1950 के प्रारम्भ में सोवियत यूनियन और वारसा संधि वाले देशों के बीच में यह मशीनगन स्टैंडर्ड मान ली गई थी. सबसे ज्यादा गन का प्रयोग पैरामिलिट्री सेना ने किया. एके 47 ने वर्ष 1960 से 70 के दशक में मोजाम्बिक में जारी अस्थिरता के बीच इसे इतनी लोकप्रियता हासिल हुई कि राष्ट्रीय ध्वज पर भी इसकी तस्वीरें थी.
मिखाइल क्लाश्निकोव ने कहा कि उन्हें अपने अविष्कार पर जितना गर्व था उतना ही यह देखकर दु:ख होता था कि अपराधी किस तरह इसका दुरुपयोग करते हैं.
कालाश्निकोव ने पहली मशीन गन का डिजाइन वर्ष 1942 में बनाया था. उस समय द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वह सोवियत यूनियन की रेड आर्मी में टैंक कमांडर थे. वर्ष 1947 तक सोवियत मिलिट्री सर्विस में एके-47 को अपना लिया गया था.
वर्ष 1950 के प्रारम्भ में सोवियत यूनियन और वारसा संधि वाले देशों के बीच में यह मशीनगन स्टैंडर्ड मान ली गई थी. सबसे ज्यादा गन का प्रयोग पैरामिलिट्री सेना ने किया. एके 47 ने वर्ष 1960 से 70 के दशक में मोजाम्बिक में जारी अस्थिरता के बीच इसे इतनी लोकप्रियता हासिल हुई कि राष्ट्रीय ध्वज पर भी इसकी तस्वीरें थी.
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