केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पानी में
जैव रासायनिक ऑक्सीजन की मांग के स्तर के आधार पर सीपीसीबी ने 293
नदियों में फैले प्रदूषित क्षेत्रों की पहचान की है. इस संबंध में
दिसंबर 2013 के तीसरे सप्ताह में सूचना दी गयी.
अधिकतम की सूची में देश में महाराष्ट्र और
गुजरात शीर्ष पर हैं. सीपीसीबी के अनुसार दूषणकारी तत्व जैसे दैनिक उपयोग के बर्तन,
जलीय वातावरण प्रभावित कर रहे थे.
सीपीसीबी की आकड़ों में देश भर के विभिन्न नदियों में सीवेज
की निकासी खुले जल में करने से नदियां प्रदूषित थीं. इनमें जम्मू एवं कश्मीर और
चार केंद्र शासित प्रदेशों और अरुणाचल प्रदेश तथा मिजोरम समेत पूर्वोत्तर राज्यों
को छोड़कर देश के लगभग सभी भागों में स्थित हैं.
सीपीसीबी ने पहली बार 1995 और 2008 के बीच पानी के नमूनों को लेकर परीक्षण के बाद दिसंबर 2009 में प्रदूषित नदी के हिस्सों पर अपनी रिपोर्ट को संकलित किया था. इन
हिस्सों में तब से राज्य और संघ शासित राज्यों द्वारा 1429 जल
गुणवत्ता स्टेशनों के एक नेटवर्क के माध्यम से लगातार नजर रखी जा रही है.
बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी)
बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) ऑक्सीजन की उस मात्रा को
दर्शाता है जो सभी जैव बैक्टीरिया और प्रोटोजोआ द्वारा ऑक्सीकरण एक लीटर पानी में
होते हैं.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी)
• भारत के केंद्रीय
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पर्यावरण एवं वन
मंत्रालय (एमओईएफ) के तहत एक सांविधिक संगठन है.
• यह पानी (रोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत 1974 में स्थापित किया गया था.
• यह देश में प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में एक शीर्ष संगठन है और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की तकनीकी शाखा के रूप में काम करता है.
• यह पानी (रोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत 1974 में स्थापित किया गया था.
• यह देश में प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में एक शीर्ष संगठन है और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की तकनीकी शाखा के रूप में काम करता है.
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