भारत और अमेरिका ने छह सी– 130 जे सुपर हरक्यूलिस के लिए समझौता किया-(30-DEC-2013) C.A

| Monday, December 30, 2013
भारत और अमेरिका ने 1.01 अरब डॉलर के छह अतिरिक्त सी–130 जे सुपर हरक्यूलिस विमान के लिए अनुबंध पर 27 दिसंबर 2013 को हस्ताक्षर किए.
रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि सभी छह सी–130 जे सुपर हरक्यूलिस विमान तीन साल के भीतर मिल जाएंगे क्योंकि यह समझौता अमेरिकी सरकार के विदेशी सैन्य बिक्री कार्यक्रम के तहत किया गया.

मजबूत सी–130, सी– 17 ग्लोबमास्टर– III स्ट्रैटेजित एयरलिफ्ट एयरक्राफ्ट के जैसा ही बड़ा है जिसे अमेरिका से लिया जा रहा है. ये विमान अधूरे बने रनवे पर एक छोटे एयरबेस पर भी उतर सकता है. भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने, अगस्त 2013 में एलएसी से सिर्फ सात किलोमीटर दूर और समुद्र तल से 16614 फीट की उंचाई पर, पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी हवाईपट्टी पर एक सी–130 जे उतार चुकी है.

साल 2007 में सी–130 जे के लिए 962 मीलियन डॉलर का आदेश दिया गया था. चीन का सीमा पर बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर किए जा रहे निर्माण कार्य के मद्देनजर यह महत्वपूर्ण है.

छह नए  सी–130 जे को विशेष अभियान के लिए लाया जा रहा है और इसे पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में रखा जाएगा.

भारतीय रक्षा बाजार में अमेरिका पहले ही 10 अरब डॉलर मूल्य के सौदे कर चुका है. अन्य सौदों में 4 अरब डॉलर 15 चीनूक हेवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर, 22 अपाचे हमलावर हेलीकॉप्टर, चार पी–81 समुद्री निगरानी विमान  और 145 एम– 777 अल्ट्रालाइट तोपें हैं. इनकी कुल कीमत 4 अरब डॉलर है.

रक्षा मंत्रालय की सूचना के अनुसार चीनूक्स के लिए अनुबंध वार्ता समिति  ( सीएनसी) ने अपना काम पूरा कर लिया है और अपाचे के लिए बातचीत अंतिम दौर में है.
सी– 130 जे सुपर हरक्यूलिस लॉकहेड सी– 130 हरक्यूलिस का नया संस्करण है जो अधूरे बने रनवे से उड़ान भर और उसपर उतर सकता है.


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