भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा पहले स्वदेशी थैलेसेमिया परीक्षण किट का अनावरण-(31-DEC-2013) C.A

| Tuesday, December 31, 2013
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने 17 दिसंबर 2013 को थैलेसेमिया एवं  लाल रक्त कोशिका से संबंधित रक्ताल्पता रोगों के लिए पहले स्वदेशी परीक्षण किट का अनावरण किया. इस परीक्षण किट को राष्ट्रीय संस्थान प्रतिरक्षा रुधिर विज्ञान, मुंबई द्वारा विकसित किया गया.
स्वदेशी थैलेसेमिया परीक्षण किट से संबंधित तथ्य
•    परीक्षण किट एक पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) पर आधारित है, जिसमे से आठ परीक्षण किट आनुवांशिक परिवर्तन की जांच के लिए, से छह किट थैलेसीमिया एवं दो लाल रक्त कोशिका से संबंधित रक्ताल्पता के लिए.
•    इस परीक्षण किट के विकसित होने से आनुवांशिक रोगों की जांच की लागत में कमी आएगी     इस किट का निजी क्षेत्र में बाज़ार मूल्य 15000  रुपए से 20000 रुपए तक है. इसका जांच  मूल्य अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा 4000 रुपए रखा गया.
•    यह परीक्षण किट विवाह से पूर्व एवं बाद की गर्भावस्था परामर्श के लिए सहायता देगा.
•    इसका कारण यह है, एक दोषपूर्ण जीन की दो वाहकों थैलेसीमिया के साथ पैदा हुआ बच्चा होने की 25 प्रतिशत संभावना है.
•    भारत में बीटा थैलेसेमिया  वाहक लोग 3-4 प्रतिशत (3-4 करोड़) होते है.  जबकि 10000-12000 थैलेसेमिया से पीड़ित लड़किया प्रति वर्ष भारत में जन्म लेती है. लाल रक्त कोशिका से संबंधित रक्ताल्पता से 5000 लोग पीड़ित है.
•    इसके प्रसार में 5- 15 प्रतिशत के बीच सिन्धी, पंजाबी, भानुशैलेश जैन एवं मुसलमान लोग होते है.
•    वैज्ञानिकों ने यह किट विकसित की, जबकि एक तथ्य यह भी है की पीसीआर मशीन जिसका मूल्य 1 लाख रुपए है, यह मशीन देश के सिर्फ 10 प्रतिशत मेडिकल कालेज में है.
थैलेसेमिया रोग से संबंधित तथ्य
•    थैलेसेमिया विरासत में मिला रक्त विकारों का एक समूह है, लाल रक्त कोशिकाओं को पैदा करने के लिए शरीर की क्षमता को प्रभावित करते हैं. थैलेसीमिया अस्थि मज्जा के मामले में हीमोग्लोबिन एनीमिया के कारण एवं वहन क्षमता ऑक्सीजन कम करने का उत्पादन नहीं करता.
•    थैलेसीमिया दो प्रकार के होते हैं- अल्फा थैलेसीमिया एवं बीटा थैलेसीमिया.


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