चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख स्थित चुमार में भारतीय कुलियों को पकड़ा-(18-DEC-2013) C.A

| Wednesday, December 18, 2013
चीनी सैनिकों ने एक बार फिर पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चुमार क्षेत्र में पांच भारतीय कुलियों और उनके खच्चरों को पकड़ लिया. सूत्रों के अनुसार, पीपल लिबरेशन आर्मी  (पीएलए) के सैनिकों ने भारतीय कुलियों को तभी छोड़ा, जब भारतीय सेना ने हॉटलाइन के जरिये हस्तक्षेप किया और उनकी वापसी की माँग करने के लिए स्थानीय कमांडरों के बीच एक फ्लैग मीटिंग हुई.
विवादित इलाकों पर अपना दावा मजबूत करने के लिए भारत और चीन दोनों की सेनाएँ 4,057-किलोमीटर लंबी अनसुलझी एलएसी के तीनों क्षेत्रों--पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (उत्तराखंड, हिमाचल) और पूर्वी (सिक्किम, अरुणाचल) क्षेत्र में आक्रामक गश्त करती रही हैं. उदहारण के लिए, भारत ने पिछले तीन सालों में एलएसी के पार पीएलए द्वारा सीमा के लगभग 700 रिकॉर्ड उल्लंघन दर्ज किए हैं.
ताजा घटना में पीएलए  के सैनिकों द्वारा दिसंबर के पहले हफ्ते में भारतीय कुलियों को "बंधक" बनाया गया. ये सैनिक जाहिर तौर पर अपने दावे की रेखा पर गश्त लगा रहे थेजिसे भारत अपना क्षेत्र समझता है.
चुमार चौकी : कलह की जड़
लद्दाख-हिमाचल प्रदेश सीमा पर चुमार में बनी भारतीय चौकी खास तौर से पीएलए को लंबे समय से क्षुब्ध किए है, क्योंकि यह चीनी क्षेत्र में दिखाई देती है और वहाँ सैनिक टुकड़ियों की गतिविधियों पर नजर रखती है. चुनार दरअसल पूर्वी लद्दाख के उन गिने-चुने सेक्टरों में से एक है, जहाँ भारतीय स्थितियाँ और सप्लाई-लाइंस पीएलए की तुलना में "बहुत बेहतर" हैं.
चुमार हाल के वर्षों में दोनों सेनाओं के बीच "तनावपूर्ण" स्थितियों और तनातनी की साक्षी रही है. चीन पहले ही भारत द्वारा इस क्षेत्र में चीन के भारी इन्फ्रास्ट्रक्चर-निर्माणों का मुकाबला करने के लिए पिछले पाँच-छह वर्षों में दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ), फुकचे और न्योमा स्थित अपने उन्नत  लैंडिंग ग्राउंड्स को पुन: सक्रिय करने और लद्दाख में एलएसी पर कुछ चौकियाँ बनाने से खफा था.

भारतीय सेना और पीएलए के बीच अप्रैल-मई 2013 की तनातनी
चुमार सेक्टर अप्रैल-मई 2013 में हुई सैन्य तनातनी के दौरान भी कलह की जड़ रहाजब दोनों प्रतिद्वंद्वी सेनाओं को टेंट लगाते और बैनर-ड्रिल्स में संलग्न होते देखा गया था, जिसके बाद पीएलए  की टुकड़ियाँ डीबीओ सेक्टर के देप्सांग बल्ज इलाके में भारतीय क्षेत्र के 19 किलोमीटर अंदर तक आ गई थीं.
तनातनी के दौरान पीएलए ने देप्सांग से वापस जाने की यह पूर्व-शर्त लगाई थी कि भारत चुमार में, जो प्रसंगवश डीबीओ के 250 किलोमीटर दक्षिण में है, स्वयं द्वारा बनाए गए बंकर उखाड़ दे. अंतत: संकट 5 मई को तब खत्म हुआ, जब भारत ने चुमार से, जिसे वह "एक टिन शेड" कहता था, उखाड़ लिया और पीएलए  की टुकड़ियाँ देप्सांग से चली गईं.
सीमा सुरक्षा सहयोग समझौता (बीडीसीए)
भारत और चीन के बीच बीडीसीए पर 23 अक्तूबर 2013 को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की बीजिंग-यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे. यह समझौता दोनों  प्रतिद्वंद्वी देशों के बीच तब तक एलएसी पर इस तरह की मुठभेड़ों को रोकने और आपस में "भरोसा निर्मित" करने के लिए ज्यादा मजबूत प्रोटोकॉल उपलब्ध कराने हेतु किया गया था, जब तक कि राजनीतिक नेतृत्व ज्यादा बड़ी और विवादास्पद सीमा-समस्या को सुलझा नहीं लेता.
बीडीसीए मूलत: 1993, 1996 और 2005 में विभिन्न उत्तेजना-विरोधी कदम उठाने और इस बात पर बल देने के लिए, कि एलएसी पर यथास्थिति बदलने के लिए "कोई भी पक्ष बल का प्रयोग नहीं करेगा या बल-प्रयोग करने की धमकी नहीं देगा" या "एकपक्षीय श्रेष्ठता नहीं चाहेगा", किए गए ऐसे पिछले समझौतों का जोड़ है. 
इनके अतिरिक्त इस समझौते में दोनों के सेना-मुख्यालयों के बीच हॉटलाइन की व्यवस्था करने, एक-दूसरे की गश्तों का पीछा न करने, अतिरिक्त सीमा कार्मिक बैठक-स्थलों का निर्माण करने और एलएसी पर "हाथ-में-हाथ" वाले संयुक्त अभ्यासों के अतिरिक्त "छोटे पैमाने के रणनीतिक अभ्यासों" का भी प्रावधान है. 
समझौते में यह भी कहा गया है कि आमने-सामने की स्थिति आने पर दोनों सेनाएँ "अधिकतम आत्म-संयम" बरतेंगी और एलएसी पर "कोई आम समझ" विकसित न होने की स्थिति में "कोई संदिग्ध स्थिति पैदा होने पर" उन्हें दूसरे पक्ष से स्पष्टीकरण" माँगने का अधिकार होगा.
Who: चीनी सैनिक
Where: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चुमार क्षेत्र में
What: पांच भारतीय कुलियों और उनके खच्चरों को पकड़ा


0 comments:

Post a Comment