सेंटर फॉर इकोनॉमिक एंड बिजनेस रिसर्च (सीईआरबी) द्वारा
दिसंबर 2013 में जारी एक अध्ययन के अनुसार यूके साल 2030
तक जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन
जाएगा. फिलहाल जर्मनी यूरोप में शीर्ष स्थान पर है. यह यूके की जनसंख्या में
वृद्धि को आर्थिक तेजी के लिए सहायक के रूप में बताता है.
सीईआरबी ने यह भविष्यवाणी भी की है कि भारत, रूस और ब्राजील जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाएं आने वाले दो दशकों में यूके को विश्व रैंकिंग में नीचे ला सकती हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि अमेरिका के बाद यूके दूसरा सबसे सफल पश्चिमी अर्थव्यवस्था होगा. साल 2030 तक तेजी से बढ़ती जनसंख्या और दूसरे यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं पर कम निर्भरता की वजह से जर्मनी यूरोपीय अर्थव्यवस्था में नीचे फिसल सकता है.
रिपोर्ट में ब्रिटिश चैंम्बर्स ऑफ कॉमर्स, बीसीसी जैसे अन्य व्यावसायिक समूहों का आत्मविश्वास भी नजर आता है.
सीईआरबी ने अपनी वार्षिक विश्व अर्थव्यवस्था लीग टेबल जारी की है जिसमें भविष्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में होने वाले उतार–चढ़ाव के आधार पर अर्थव्यवस्थाओं की रैंकिंग की गई है.
अपनी रिपोर्ट में सीईआरबी ने यह भी कहा है कि साल 2028 तक चीन अमेरिकी अर्थव्यव्सथा को पीछे छोड़ देगा और भारत तीसरे स्थान पर होगा. सीईआरबी ने यह अनुमान अर्थव्यवस्था के आकार के आधार पर उसमें होने वाली वृद्धि, मुद्रास्फीति और मुद्रा के मोल, पर लगाया है, जो साल 2013, 2018, 2023 और 2028 में अमेरिकी डॉलर में मापा जाएगा. रिपोर्ट जारी करने के दौरान सीईआरबी ने कहा कि मुद्राओं में अप्रत्याशित उतार– चढ़ाव बने रहने के कारण उनकी भविष्यवाणी को चेतावनी की तरह लिया जाना चाहिए.
रिपोर्ट के मुताबित आने वाले पंद्रह वर्षों में भारत जापन को पीछे छोड़ते हुए तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा जबकि ब्राजील पांचवें स्थान पर होगा. एंटी– डिफ्लेशन रणनीति भविष्य में येन को कमजोर बनाएगा और डॉलर के मूल्यको प्रभावित करेगा.
हालांकि, जहां तक जर्मनी की बात है, समूह का मानना है कि यूरो के ब्रेक अप होने पर जर्मनी की स्थिति में सुधार हो सकता है. फ्रांस के बारे में सीईबीआर का कहना है कि यह पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और साल 2018 तक यूके इससे आगे निकल जाएगा. ऐसा उच्च कराधान के साथ यूरोजोन अर्थव्यवस्थाओं के सामान्य मुद्दों की वजह से धीमी विकास दर के कारण होगा.
सीईआरबी ने यह भविष्यवाणी भी की है कि भारत, रूस और ब्राजील जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाएं आने वाले दो दशकों में यूके को विश्व रैंकिंग में नीचे ला सकती हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि अमेरिका के बाद यूके दूसरा सबसे सफल पश्चिमी अर्थव्यवस्था होगा. साल 2030 तक तेजी से बढ़ती जनसंख्या और दूसरे यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं पर कम निर्भरता की वजह से जर्मनी यूरोपीय अर्थव्यवस्था में नीचे फिसल सकता है.
रिपोर्ट में ब्रिटिश चैंम्बर्स ऑफ कॉमर्स, बीसीसी जैसे अन्य व्यावसायिक समूहों का आत्मविश्वास भी नजर आता है.
सीईआरबी ने अपनी वार्षिक विश्व अर्थव्यवस्था लीग टेबल जारी की है जिसमें भविष्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में होने वाले उतार–चढ़ाव के आधार पर अर्थव्यवस्थाओं की रैंकिंग की गई है.
अपनी रिपोर्ट में सीईआरबी ने यह भी कहा है कि साल 2028 तक चीन अमेरिकी अर्थव्यव्सथा को पीछे छोड़ देगा और भारत तीसरे स्थान पर होगा. सीईआरबी ने यह अनुमान अर्थव्यवस्था के आकार के आधार पर उसमें होने वाली वृद्धि, मुद्रास्फीति और मुद्रा के मोल, पर लगाया है, जो साल 2013, 2018, 2023 और 2028 में अमेरिकी डॉलर में मापा जाएगा. रिपोर्ट जारी करने के दौरान सीईआरबी ने कहा कि मुद्राओं में अप्रत्याशित उतार– चढ़ाव बने रहने के कारण उनकी भविष्यवाणी को चेतावनी की तरह लिया जाना चाहिए.
रिपोर्ट के मुताबित आने वाले पंद्रह वर्षों में भारत जापन को पीछे छोड़ते हुए तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा जबकि ब्राजील पांचवें स्थान पर होगा. एंटी– डिफ्लेशन रणनीति भविष्य में येन को कमजोर बनाएगा और डॉलर के मूल्यको प्रभावित करेगा.
हालांकि, जहां तक जर्मनी की बात है, समूह का मानना है कि यूरो के ब्रेक अप होने पर जर्मनी की स्थिति में सुधार हो सकता है. फ्रांस के बारे में सीईबीआर का कहना है कि यह पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और साल 2018 तक यूके इससे आगे निकल जाएगा. ऐसा उच्च कराधान के साथ यूरोजोन अर्थव्यवस्थाओं के सामान्य मुद्दों की वजह से धीमी विकास दर के कारण होगा.
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