भारत ने परमाणु क्षमता वाले अग्नि-3 मिसाइल का उड़ीसा तट के व्हीलर द्वीप से सफल परीक्षण किया-(24-DEC-2013) C.A

| Tuesday, December 24, 2013
भारत ने परमाणु क्षमता वाले अग्नि-3 बैलिस्टिक मिसाइल का उड़ीसा तट के व्हीलर द्वीप से सफल परीक्षण 23 दिसंबर 2013 को किया गया. सतह से सतह तक मार करने वाले मिसाइल का परीक्षण भारतीय सेना के सामरिक बल कमांड ((एसएफसी)) द्वारा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की सहायता से किया गया. स्वदेशी तकनीक से निर्मित अग्नि-3 मिसाइल को एकीकृत टेस्ट रेंज से लांच काम्प्लैक्स-4 पर स्थित मोबाइल लांचर से शाम 4.55 बजे प्रक्षेपित किया गया.
इसे पहले ही सेना में शामिल कर लिया गया है जिसमें हाईब्रिड नेविगेशन, गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम तथा कम्प्यूटर लगे हुए है. मिसाइल दागे जाने और उसके लक्षित क्षेत्र को निशाना बनाने तक के पथ पर अत्‍याधुनिक राडारों, टेलीमट्री अर्ब्‍जेवेशन स्‍टेशन्‍स, इलेक्‍ट्रोओपटिक उपकरणों तथा नौसेना के जहाजों से नजर रखी गई.

अग्नि-3 से सम्बंधित मुख्य तथ्य 
अग्नि-3 मिसाइल तीन हजार किलोमीटर से ज्‍यादा की दूरी तक मार कर सकती है.
अग्नि-3 मिसाइल उन्‍नत, उच्‍च, सटीकता वाली नेविगेशन प्रणाली से युक्‍त है और एक नवीन निर्देशित योजना द्वारा निर्देशित है.
इसका प्रक्षेपण सेना द्वारा प्रायोगिक परीक्षण के तहत किया गया.
डीआरडीओ के एक अधिकारी ने कहा, 'अग्नि-3 मिसाइल के प्रदर्शन को दोहराने की क्षमता साबित करने के लिए इसकी श्रृंखला में दूसरा प्रायोगिक परीक्षण किया गया.'
अग्नि-3 मिसाइल में दो स्तर की ठोस प्रणोदक प्रणाली है.
• 17 मीटर लंबी मिसाइल का व्यास 2 मीटर है और प्रक्षेपण के समय इसका भार करीब 50 टन है.
यह डेढ़ टन वजनी वारहैड ले जा सकती है.
रेल मोबाइल प्रणाली से युक्त अग्नि-3 मिसाइल को देश के किसी भी हिस्से से छोड़ा जा सकता है.

विदित हो कि अग्नि-3 के 9 जुलाई 2006 को हुए पहले विकास परीक्षण के अपेक्षित परिणाम नहीं मिले थे लेकिन 12 अप्रैल 2007 और  7 मई 2008 तथा 7 फरवरी 2010 को किये गये परीक्षण और बाद में 21 सितंबर 2012 को इसी केंद्र से किये गये पहले प्रायोगिक परीक्षण सफल रहे.


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