पर्यावरण मंत्रालय ने देश के दक्षिणी हिस्से में घोषित
पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र (पश्चिमी घाट) के संबंध में कस्तूरीरंगन
समिति की रिपोर्ट को सिद्धांतत: स्वीकार करने के बाद 20 दिसंबर 2013 को एक नया आदेश जारी किया और 16 नवंबर 2013 की अधिसूचना वापस ले ली. यह आदेश केरल,
तमिलनाडू, कर्नाटक, महाराष्ट्र
और गुजरात को जारी किया गया.
पर्यावरण और वन मंत्रालय के आदेश ने स्पष्ट किया कि कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाले उच्च स्तरीय कार्य-दल ने पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र में जमीन के उपयोग पर कोई नए प्रतिबंध नहीं लगाए और यह आदेश स्थानीय लोगों द्वारा अपने कब्जे वाली जमीन के सतत अधिग्रहण या उनकी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों अथवा सामान्य जीवनचर्या को प्रभावित नहीं करता.
उच्च स्तरीय कार्य-दल की रिपोर्ट निम्नलिखित पर प्रतिबंध लगाती है-
पर्यावरण और वन मंत्रालय के आदेश ने स्पष्ट किया कि कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाले उच्च स्तरीय कार्य-दल ने पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र में जमीन के उपयोग पर कोई नए प्रतिबंध नहीं लगाए और यह आदेश स्थानीय लोगों द्वारा अपने कब्जे वाली जमीन के सतत अधिग्रहण या उनकी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों अथवा सामान्य जीवनचर्या को प्रभावित नहीं करता.
उच्च स्तरीय कार्य-दल की रिपोर्ट निम्नलिखित पर प्रतिबंध लगाती है-
• खनन, उत्खनन, बालू की खुदाई, ताप-विद्युत संयंत्र.
• ESA में 20000 वर्गमीटर या उससे ज्यादा के क्षेत्र पर भवन-निर्माण परियोजनाएँ, 50 है या उससे ज्यादा बड़े क्षेत्र की टाउनशिप और क्षेत्र विकास परियोजनाएँ और लाल श्रेणी के उद्योग.
उच्च स्तरीय कार्य-दल ने 37 प्रतिशत पश्चिमी घाट भूदृश्य को पारिस्थितिकी की दृष्टि से संवेदनशील बताया.
पर्यावरण और वन मंत्रालय ने कहा कि उच्च स्तरीय कार्य-दल की सिफारिशों के समयबद्ध कार्यान्वयन की निगरानी के लिए पर्यावरण मंत्रालय की एक उच्चस्तरीय समिति गठित की जाएगी.
मंत्रालय ने उच्च स्तरीय कार्य-दल द्वारा की गई अन्य सभी प्रमुख सिफारिशें स्वीकार कर लीं-
• पश्चिमी घाट में प्रेरणास्पद हरित संवृद्धि के लिए वित्तीय व्यवस्थाएँ
• निर्णय करने में स्थानीय समुदायों की सहभागिता और संलग्नता
• पश्चिमी घाटों के लिए डाटा निगरानी प्रणाली विशेषकर निर्णय सहायता
• निगरानी केंद्र की स्थापना
• ESA में 20000 वर्गमीटर या उससे ज्यादा के क्षेत्र पर भवन-निर्माण परियोजनाएँ, 50 है या उससे ज्यादा बड़े क्षेत्र की टाउनशिप और क्षेत्र विकास परियोजनाएँ और लाल श्रेणी के उद्योग.
उच्च स्तरीय कार्य-दल ने 37 प्रतिशत पश्चिमी घाट भूदृश्य को पारिस्थितिकी की दृष्टि से संवेदनशील बताया.
पर्यावरण और वन मंत्रालय ने कहा कि उच्च स्तरीय कार्य-दल की सिफारिशों के समयबद्ध कार्यान्वयन की निगरानी के लिए पर्यावरण मंत्रालय की एक उच्चस्तरीय समिति गठित की जाएगी.
मंत्रालय ने उच्च स्तरीय कार्य-दल द्वारा की गई अन्य सभी प्रमुख सिफारिशें स्वीकार कर लीं-
• पश्चिमी घाट में प्रेरणास्पद हरित संवृद्धि के लिए वित्तीय व्यवस्थाएँ
• निर्णय करने में स्थानीय समुदायों की सहभागिता और संलग्नता
• पश्चिमी घाटों के लिए डाटा निगरानी प्रणाली विशेषकर निर्णय सहायता
• निगरानी केंद्र की स्थापना
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