ऑस्ट्रेलियाई के नेतृत्व वाली भू-वैज्ञानिकों की एक टीम ने
अंटार्कटिका के पूर्वी प्रायद्वीप की बर्फीली पहाड़ियों में पहली बार किंबरलाइट
चट्टान की खोज की है जिसे हीरा भंडार का
महत्वपूर्ण संकेत माना जाता है. यह चट्टानें उत्तरी
प्रिंस चार्ल्स माउंटेन्स में स्थित माउंट मैराडिथ की ढलानों पर प्राप्त हुईं.
ऑनलाइन जरनल ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अंटार्कटिका में काम करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि इन चट्टानों का पाया जाना हीरे के पाए जाने का प्रमाण है.
हालांकि अंटार्कटिका में मिलने वाले खनिजों का व्यापारिक उद्देश्यों से खनन प्रतिबंधित है.
विश्वभर में किंबरलाइट चट्टानों को हीरे की चट्टान या हीरे की बहुलता वाली चट्टान कहा जाता है. इन चट्टानों में अफ्रीका, साइबेरिया और ऑस्ट्रेलिया में बड़ी मात्रा में हीरे पाए गए.
किंबरलाइट चट्टान का निर्माण
जमीन से लगभग 150 किमी नीचे शुद्ध कार्बन अत्याधिक उच्च तापमान और दबाव पर हीरे में बदल जाता है. सामान्यत: जमीन की गहराइयों से हीरे ज्वालामुखी उदभेदन जैसी क्रियाओं के माध्यम से किंबरलाइट चट्टानों तक पहुंचते हैं. ‘किंबरलाइट’ चट्टानें 41 नीले रंग की होती हैं.
वैज्ञानिकों का मानना है कि अंटार्कटिका में बर्फ की स्थाई चादर के नीचे अत्याधिक गहराई में हुए ज्वालामुखी उद्भेदन के कारण हीरे सतह के निकट आ गए.
ऑनलाइन जरनल ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अंटार्कटिका में काम करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि इन चट्टानों का पाया जाना हीरे के पाए जाने का प्रमाण है.
हालांकि अंटार्कटिका में मिलने वाले खनिजों का व्यापारिक उद्देश्यों से खनन प्रतिबंधित है.
विश्वभर में किंबरलाइट चट्टानों को हीरे की चट्टान या हीरे की बहुलता वाली चट्टान कहा जाता है. इन चट्टानों में अफ्रीका, साइबेरिया और ऑस्ट्रेलिया में बड़ी मात्रा में हीरे पाए गए.
किंबरलाइट चट्टान का निर्माण
जमीन से लगभग 150 किमी नीचे शुद्ध कार्बन अत्याधिक उच्च तापमान और दबाव पर हीरे में बदल जाता है. सामान्यत: जमीन की गहराइयों से हीरे ज्वालामुखी उदभेदन जैसी क्रियाओं के माध्यम से किंबरलाइट चट्टानों तक पहुंचते हैं. ‘किंबरलाइट’ चट्टानें 41 नीले रंग की होती हैं.
वैज्ञानिकों का मानना है कि अंटार्कटिका में बर्फ की स्थाई चादर के नीचे अत्याधिक गहराई में हुए ज्वालामुखी उद्भेदन के कारण हीरे सतह के निकट आ गए.
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