संयुक्त राष्ट्र बाल निधि (यूनिसेफ) द्वारा 7 सितंबर 2016 को जारी रिपोर्ट के अनुसार विश्व में लगभग 5 करोड़ बच्चे बेघर हैं. यह रिपोर्ट अपरूटेड: द ग्रोइंग क्राईसेज़ फॉर रिफ्यूजी एंड माइग्रेंट चिल्ड्रेन नामक शीर्षक से जारी की गयी.
रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में 5 करोड़ से अधिक बच्चे बेहतर एवं सुरक्षित जीवन की तलाश में बेघर हो चुके हैं.
यह बच्चे तनावपूर्ण माहौल, युद्ध, हिंसा एवं अन्य खतरों के कारण दूसरे देशों में जा रहे हैं तथा वाहन समुद्र में डूबने, कुपोषण, तस्करी, बलात्कार और हत्या जैसे खतरों के शिकार हो रहे हैं. जिन देशों से गुजरते हुए वे यात्रा करते हैं वहां उन्हें विद्वेष तथा भेदभाव का शिकार होना पड़ता है.
रिपोर्ट की विशेषताएं
• यह बच्चे दूसरे देशों में शरणार्थी जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर होते हैं तथा इनकी संख्या कुल शरणार्थी संख्या से लगभग आधी है.
• वर्ष 2015 में कुल शरणार्थी बच्चों की जनसँख्या का लगभग 45 प्रतिशत सीरिया एवं अफगानिस्तान से पाया गया.
• लगभग 27 मिलियन बच्चे जिन्होंने अपने घरों को छोड़ा उनमें सीमा पार से होने वाले संघर्ष के कारण 10 मिलियन बच्चे तथा देश में अपने घरों से विस्थापित होने वाले बच्चों की संख्या 17 मिलियन है.
रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में 5 करोड़ से अधिक बच्चे बेहतर एवं सुरक्षित जीवन की तलाश में बेघर हो चुके हैं.
यह बच्चे तनावपूर्ण माहौल, युद्ध, हिंसा एवं अन्य खतरों के कारण दूसरे देशों में जा रहे हैं तथा वाहन समुद्र में डूबने, कुपोषण, तस्करी, बलात्कार और हत्या जैसे खतरों के शिकार हो रहे हैं. जिन देशों से गुजरते हुए वे यात्रा करते हैं वहां उन्हें विद्वेष तथा भेदभाव का शिकार होना पड़ता है.
रिपोर्ट की विशेषताएं
• यह बच्चे दूसरे देशों में शरणार्थी जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर होते हैं तथा इनकी संख्या कुल शरणार्थी संख्या से लगभग आधी है.
• वर्ष 2015 में कुल शरणार्थी बच्चों की जनसँख्या का लगभग 45 प्रतिशत सीरिया एवं अफगानिस्तान से पाया गया.
• लगभग 27 मिलियन बच्चे जिन्होंने अपने घरों को छोड़ा उनमें सीमा पार से होने वाले संघर्ष के कारण 10 मिलियन बच्चे तथा देश में अपने घरों से विस्थापित होने वाले बच्चों की संख्या 17 मिलियन है.
• प्रत्येक वर्ष स्वयं सीमा पार करके दूसरे देशों में जाने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. वर्ष 2015 में 1,00,000 बच्चों ने बिना किसी व्यस्क के साथ 78 देशों में बतौर शरणार्थी जाने के लिए आवेदन किया. यह संख्या वर्ष 2014 से तीन गुना अधिक है.
• इस दौरान लगभग 20 मिलियन बच्चे गरीबी एवं हिंसा के कारण देश छोड़कर जाने के लिए मजबूर हुए हैं.
• तुर्की में विश्व के सबसे अधिक शरणार्थी आकर बसे हैं इनमें सबसे अधिक बच्चों की संख्या भी शामिल है.
• यदि आंकड़ों के अनुसार बात की जाए तो लेबनान में प्रत्येक 5 में से 1 व्यक्ति शरणार्थी है.
• इंग्लैंड में प्रत्येक 530 लोगों में से 1 व्यक्ति शरणार्थी है, इसी प्रकार अमेरिका में प्रत्येक 1200 व्यक्तियों में 1 व्यक्ति शरणार्थी है.
• आय के स्तर से शरणार्थी मेजबान देशों पर विचार किया जाए तो कांगो, इथोपिया एवं पाकिस्तान का नंबर सबसे पहले आता है.
• एक साधारण बच्चे की तुलना में एक शरणार्थी बच्चे के स्कूल न जाने की संभावना पांच गुना अधिक है.
• दूसरे देशों में तिरस्कार किये जाने से इन बच्चों पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है, इसमें हिंसक हमले भी शामिल हैं. जर्मनी में सरकारी संस्थाओं ने 2015 में 850 हमलों के मामले दर्ज किये.
शरणार्थी एवं प्रवासी बच्चों की सुरक्षा हेतु:
• विशेषकर वयस्कों की सहायता के बिना प्रवास करने वाले बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए तथा उन्हें विद्वेष अथवा तिरस्कार से बचाए जाने के उपाय किये जाने चाहिए.
• गिरफ्तार किये गये बच्चों को प्रवासी अथवा शरणार्थी दर्जा दिए जाने के लिए विशेष कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए.
• देशों के परिवारों को साथ रखने से सुरक्षा बेहतर तरीके से की जा सकती है.
• शरणार्थी एवं प्रवासी बच्चों को प्रशिक्षण एवं कार्य करने के अवसर दिए जाने चाहिए.
• विद्वेष, भेदभाव एवं अकेलेपन से लड़ने के लिए जागरुकता फैलाई जानी चाहिए.
0 comments:
Post a Comment