केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 21 सितंबर 2016 को प्रत्यक्ष संचार लिंक स्थापित करने के उद्देश्य से चेन्नई एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह के साथ पनडुब्बी ऑप्टिकल फाइबर केबल कनेक्टिविटी (ओएफसी) को मंजूरी प्रदान की.
यह परियोजना दिसम्बर 2018 में पूरी होगी तथा इससे चेन्नई को पोर्ट ब्लेयर, लिटिल अंडमान, कार निकोबार, हैवलॉक, कोमार्ता एवं ग्रेट निकोबार के साथ जोड़ा जा सकेगा.
विशेषताएं
• इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 1102.38 करोड़ रूपए है जिसमें पांच वर्ष का संचालन व्यय भी शामिल है.
• यह अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह को सुचारु बैंडविथ तथा टेलिकॉम कनेक्टिविटी प्रदान करेगा. इससे सरकार द्वारा चलाये जा रही ई-गवर्नेंस परियोजनाओं का लाभ इस क्षेत्र को भी मिल सकेगा.
• इससे इस क्षेत्र के शैक्षिक संस्थानों द्वारा जानकारी साझा करने, रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने तथा डिजिटल इंडिया को साकार करने में सहायता मिलेगी.
यह परियोजना दिसम्बर 2018 में पूरी होगी तथा इससे चेन्नई को पोर्ट ब्लेयर, लिटिल अंडमान, कार निकोबार, हैवलॉक, कोमार्ता एवं ग्रेट निकोबार के साथ जोड़ा जा सकेगा.
विशेषताएं
• इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 1102.38 करोड़ रूपए है जिसमें पांच वर्ष का संचालन व्यय भी शामिल है.
• यह अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह को सुचारु बैंडविथ तथा टेलिकॉम कनेक्टिविटी प्रदान करेगा. इससे सरकार द्वारा चलाये जा रही ई-गवर्नेंस परियोजनाओं का लाभ इस क्षेत्र को भी मिल सकेगा.
• इससे इस क्षेत्र के शैक्षिक संस्थानों द्वारा जानकारी साझा करने, रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने तथा डिजिटल इंडिया को साकार करने में सहायता मिलेगी.
पृष्ठभूमि
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह भारत के लिए विशेष महत्व रखते हैं. इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के कारण यह भारत के पूर्वी क्षेत्र की सुरक्षा में विशेष भूमिका निभाता है. इस क्षेत्र में सुरक्षित, विश्वसनीय, मजबूत और सस्ती दूरसंचार सेवाएं सामरिक दृष्टि तथा द्वीप के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है.
फ़िलहाल इस क्षेत्र में दूरसंचार सेवाएं सेटेलाईट द्वारा प्रदान की जा रही हैं जिसमें बैंडविथ केवल 1जीबीपीएस तक सीमित है. सेटेलाईट बैंडविथ, केबल की तुलना में अधिक महंगा एवं धीमी गति का होता है जिससे त्वरित सेवाओं में सुगमता नहीं आ पाती. इसलिए पनडुब्बी ऑप्टिकल फाइबर केबल कनेक्टिविटी इस क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभा सकता है.
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह भारत के लिए विशेष महत्व रखते हैं. इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के कारण यह भारत के पूर्वी क्षेत्र की सुरक्षा में विशेष भूमिका निभाता है. इस क्षेत्र में सुरक्षित, विश्वसनीय, मजबूत और सस्ती दूरसंचार सेवाएं सामरिक दृष्टि तथा द्वीप के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है.
फ़िलहाल इस क्षेत्र में दूरसंचार सेवाएं सेटेलाईट द्वारा प्रदान की जा रही हैं जिसमें बैंडविथ केवल 1जीबीपीएस तक सीमित है. सेटेलाईट बैंडविथ, केबल की तुलना में अधिक महंगा एवं धीमी गति का होता है जिससे त्वरित सेवाओं में सुगमता नहीं आ पाती. इसलिए पनडुब्बी ऑप्टिकल फाइबर केबल कनेक्टिविटी इस क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभा सकता है.
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