केंद्र सरकार ने आम बजट में रेल बजट के विलय को मंजूरी प्रदान की-(23-SEP-2016) C.A

| Friday, September 23, 2016
Rail Budgetकेंद्र सरकार ने आगामी बजट सत्र से रेल बजट को आम बजट में विलय के प्रस्ताव को हाल ही में स्वीकृति प्रदान कर दी.
केन्द्रीय कैबिनेट के इस फैसले से 92 वर्ष पुरानी परंपरा का अंत हो जाएगा. रेल बजट को आम बजट से अलग पेश किए जाने की परंपरा वर्ष 1924 में शुरू की गई. कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की.

एक देश-एक बजट के सिद्धांत को अपनाते हुए आगामी वित्त वर्ष यानि 2017-18 में वर्ष 2017 हेतु आम बजट ही संसद में प्रस्तुत किया जाएगा. इसके अलावा एक विनियोजन विधेयक होगा. इससे रेलवे की स्वायतत्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

बजट तिथि में परिवर्तन- 
केंद्रीय कैबिनेट ने बजट की सम्पूर्ण प्रक्रिया में बदलाव करने की भी मंजूरी प्रदान की. अब आम बजट की प्रस्तुति तिथि में भी परिवर्तन किया जाएगा. आम बजट एक फरवरी को प्रस्तुत किया जा सकता है. अब तक आम बजट फरवरी के अंत में प्रस्तुत किया जाता था. यह दशकों पुरानी परिपाटी भी अब बदल दी जाएगी. सरकार बजट प्रक्रिया को नए वित्त वर्ष के आरम्भ से पहले 31 मार्च तक पूरा करना चाहती है. इसलिए बजट को जल्दी पेश करने का सैद्धांतिक फैसला लिया गया.
बजट विलय से रेलवे को लाभ -
  • रेल मंत्रालय का वित्तीय लेखा - जोखा भी आम बजट का उसी प्रकार हिस्सा होगा, जैसे अन्य मंत्रालय के लिए होता है.
  • वित्त वर्ष 2017-18 के आम बजट में रेलवे की लागत और गैर-लागत खर्च का ब्योरा प्रदर्शित किया जाएगा.
  • रेल बजट के आम बजट में विलय का रेलवे की कार्यकारी और वित्तीय स्वायत्तता पर असर नहीं पड़ेगा.
  • रेलवे का 2.27 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत भार भी खत्म हो जाएगा.
  • आम बजट और रेल बजट के विलय के बाद भी रेल मंत्रालय को नई रेलगाड़ि‍यों और परियोजनाओं की घोषणा और क्रियान्वयन की छूट होगी.
  • सातवें वेतन आयोग के कारण रेल मंत्रालय पर बढ़ रहे वित्तीय भार को भी वित्त मंत्रालय साझा करने में भी सहयोग करेगा.
  • दोनों बजट के विलय के बाद रेलवे के राजस्व घाटे और पूंजी लागत को अब वित्त मंत्रालय को स्थानांतरित कर दिया जाएगा.
  • विलय के बाद रेल मंत्रालय को वित्त मंत्रालय के सामने वित्तीय सहयोग के लिए अनुनय की स्थिति में नहीं रहना पड़ेगा.
रेल टैरिफ अथॉरिटी का गठन-
रेल मंत्रालय के साथ वित्त मंत्रालय ही अब रेल मंत्रालय का भी बजट तैयार करेगा. दोनो मंत्रालयों के अधिकार क्षेत्र का बटंवारा भी किया जाएगा. 
वित्त मंत्रालय और रेल मंत्रालय के मध्य पेंशन की देनदारी, लाभांश (डिविडेंड), रेलवे को वित्त मंत्रालय से मिलने वाले बजटीय सहायता और किराया निर्धारित करने का अधिकार जैसे मुद्दों पर अभी अतिम फैसला किया जाना है.
वित्त और रेल मंत्रालय ने सहमति व्यक्त की है कि रेलवे के किराए में कमी और बढ़ोतरी हेतु रेल टैरिफ अथॉरिटी का निर्धारण किया जाएगा.

रेल बजट का आम बजट में विलय का उद्देश्य-
  • रेल बजट का आम बजट में विलय का कारण रेलवे की कार्य शैली में सुधार लाना तथा उसे ज्यादा प्रभावी बनाने को लक्ष्य है.
  • रेल बजट और आम बजट के विलय से रेल मंत्रालय को लाभांश (डिविडेंड) नहीं देना पड़ेगा. इससे नकदी की कमी से जूझ रही रेलवे को प्रति वर्ष लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी.
  • दोनों बजट के विलय पर विचार करनेहेतु बिबेक देबरॉय समिति का गठन किया गया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि रेल बजट कैबिनेट के लिए लोकप्रियता हासिल करने का माध्यम बन गया है.
  • नई रेलगाड़ियाँ चलाना, नए रूट्स निर्धारित करना और नए रेल कारखाने स्थापित करने की घोषणा की जाति हैं किन्तु रेलवे के स्ट्रक्चर में सुधार के लिए कुछ नहीं किया जाता.
  • दोनों बजट का विलय कर देने से रेलवे का आधुनीकिरण और विस्तार किया जा सकेगा.
  • ब्रिटिश शासनकाल में 1924 में रेल बजट को आम बजट से अलग किया गया था. उस समय के नीति निर्धारकों का मानना था कि दोनों बजट को अलग कर देने से रेलवे का शीघ्र विकास किया जा सकेगा.
सब प्लान व्यवस्था में परिवर्तन नहीं-
  • दलित और आदिवासियों के लिए अलग से आवंटन दर्शाने वाले अनुसूचित जाति सब प्लान और अनुसूचित जनजाति सब प्लान की मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी.
  • पूर्वोत्तर राज्यों को आवंटित राशि का भी अलग से उल्लेख होगा.
पूर्व रेल बजट से जुड़े कुछ मुख्य तथ्य-
  • 1920-21 में प्रथम रेल बजट दस सदस्यों वाली एकवर्थ समिति के सुझाव पर आम बजट से अलग किया गया.
  • पहली बार अलग रेल बजट 1924 में पेश किया गया था.
  • 1924 में पेश पहले रेल बजट की राशि आम बजट से ज्यादा थी.
  • बीते वर्षो में यह आम बजट के मुकाबले काफी कम हो गई है.
  • रक्षा समेत कुछ मंत्रालयों का बजट रेल बजट से भी ज्यादा है.
  • आम बजट से अलग होने के 70 साल बाद रेल बजट का टीवी पर पहला सीधा प्रसारण 24 मार्च, 1994 को हुआ.
  • 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता मिलने के बाद जॉन मथाई आजाद भारत के पहले रेल मंत्री बनाए गए.
  • बंगाल की मौजूदा मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी वर्ष 2000 में पहली महिला रेल मंत्री बनी.
  • सबसे अधिक बार रेल बजट पेश करने का रिकॉर्ड जगजीवन राम के नाम है. उन्होंने 1956 से 1962 तक सात बार रेल बजट संसद में प्रस्तुत किया

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