केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एडमिरैलिटी विधेयक 2016 के अधिनियमन को स्वीकृति प्रदान की-(28-SEP-2016) C.A

| Wednesday, September 28, 2016
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एडमिरैलिटी (क्षेत्राधिकार एवं समुद्रतटीय दावों के निपटान) विधेयक 2016 के अधिनियमन और पांच पुराने एडमिरैलिटी कानूनों को निरस्त करने हेतु जहाजरानी मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी.

एडमिरैलिटी विधेयक 2016 के बारे में-
  • एडमिरैलिटी विधेयक अदालतों के एडमिरैलिटी क्षेत्राधिकारों, समुद्रतटीय दावों पर अदालती कार्यवाही, जहाजों की जब्ती और अन्य संबंधित मुद्दों से जुड़े मौजूदा कानूनों को मजबूती प्रदान करेगा.
  • विधेयक 2016 से नागरिक मामलों में नौवहन विभाग के क्षेत्राधिकार के पांच पुराने कानून भी निरस्त किए जाएंगे. यह कानून ब्रिटिश काल में लागू किए गए थे.  
निरस्त किए जाने वाले क़ानून-
  • एडमिरैलिटी कोर्ट अधिनियम, 1840,
  • एडमिरैलिटी कोर्ट अधिनियम, 1861,
  • कॉलोनियल कोट्र्स ऑफ एडमिरैलिटी अधिनियम, 1890,
  • कॉलोनियल कोट्र्स ऑफ एडमिरैलिटी (इंडिया) अधिनियम, 1891
  • बंबई, कलकत्ता और मद्रास उच्च न्यायालयों के एडमिरैलिटी क्षेत्राधिकारों पर लागू लेटर्स पेटेंट प्रावधान, 1865.
एडमिरैबिलिटी विधेयक, 2016 की मुख्य विशेषताएं-
  • एडमिरैलिटी विधेयक 2016 प्रस्ताव समुद्री कानूनी बिरादरी द्वारा की जा रही मांग का समर्थन करेगा.
  • विधेयक भारत के तटवर्ती राज्यों के उच्च न्यायालयों को एडमिरैलिटी क्षेत्राधिकार प्रदान करता है.
  • क्षेत्राधिकार का विस्तार समुद्री सीमा तक है.
  • केंद्र सरकार की अधिसूचना के माध्यम से क्षेत्राधिकार में विस्तार भी किया जा सकता है.
  • यह विस्तार किसी विशेष आर्थिक क्षेत्र या भारत के किसी अन्य समुद्री क्षेत्र या भारत की प्रादेशिक सीमा के दायरे में किसी द्वीप तक हो सकता है.
  • एडमिरैबिलिटी विधेयक सभी समुद्री जहाजों पर लागू होगा. जहाज के मालिक का आवास/ निवास कहीं भी हो.
  • अंतर्देशीय निर्माणाधीन जहाज इसके दायरे में नहीं ले गए हैं. आवश्यकता होने पर केंद्र सरकार अधिसूचना जारी करके इनको भी इसके दायरे में ला सकती है.
  • विधेयक युद्धपोत एवं नौसेना के बड़े के सहायक जहाज और गैर-वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए प्रयोग किए जाने वाले जहाजों पर लागू नहीं है.
  • समुद्री दावों के मामलों में सुरक्षा के दृष्टिगत जहाज को निश्चित परिस्थितियों में जब्त किया जा सकता है.
  • किसी जहाज पर चुनिंदा समुद्री दावों के संबंध में दायित्य उसके नए मालिक को निर्धारित समय सीमा के भीतर मैरिटाइम लिएन्स के तहत हस्तांतरित किया जाएगा.
  • जिन पहलुओं हेतु विधेयक में प्रावधान नहीं किए गए हैं उन पर सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 लागू की जाएगी.
पृष्ठभूमि-
प्रमुख समुद्रतटीय राष्ट्र भारत समुद्री परिवहन के माध्यम से लगभग 95 प्रतिशत मर्केंडाइज व्यापार करता है. वर्तमान संवैधानिक ढांचे के तहत भारतीय अदालतों में एडमिरैलिटी क्षेत्राधिकार से सम्बंधित मामलों का ब्रिटिश काल में अधिनियमित कानूनों के तहत निपटारा किया जाता है. 
एडमिरैलिटी क्षेत्राधिकार समुद्री परिवहन और जलमार्ग यातायात से सम्बंधित दावों के संबंध में उच्च न्यायालयों की शक्तियों से संबंधित है. पांच पुराने एडमिरैलिटी कानूनों को निरस्त करने का सरकार का फैसला प्रशासन को कुशल बनाना और प्रशासन की राह में बाधा बनने वाले पुराने एवं अनुपयोगी कानूनों को खत्म करना सरकार की प्रतिबद्धता का परिचायक है.

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