यह प्रक्षेपण जीएसएलवी-एफ5 द्वारा सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लांच पैड से प्रक्षेपित किया गया. इस उड़ान से यह घोषित हो गया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2.5 टन के उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में सक्षम जीएसएलवी मार्क-2 का प्रयोग कर सकता है.
स्वदेशी क्रायोजनिक इंजन युक्त जीएसएलवी की यह लगातार तीसरी सफल उड़ान थी. इसके साथ ही इसरो के पास उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए अब दो तरह के रॉकेट उपलब्ध हो गये हैं. इसरो इससे पहले ध्रुवीय प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का प्रयोग करता रहा है.
इनसैट-3डीआर की विशेषताएं
• यह उपग्रह मौसम संबंधी आंकड़े एकत्रित करेगा जिसका उपयोग कृषि एवं विज्ञान संबंधी कार्यों में हो सकेगा.
• इनसैट-3डीआर में लगाये गये कैमरे से यह रात में अधिक साफ फोटो खींच सकेगा.
• जीएसएलवी द्वारा इनसैट-3डीआर को 36 हज़ार किलोमीटर ऊपर छोड़ा जायेगा.
• यह रेडिएशन, समुद्री सतह के तापमान, बर्फ की सतह, कोहरे आदि की जानकारी देगा.
• इनसैट-3डीआर का वजन 2,211 किलोग्राम है जो दूसरा सबसे अधिक वजनदार सैटेलाइट
जीएसएलवी की सफलताएं
इससे पहले जीएसएलवी की सहायता से जनवरी 2014 में डी-5 तथा अगस्त 2015 में डी-6 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया. इन उड़ानों से जीएसएटी-14 और जीएसएटी-6 को लक्षित जीटीओ में पूरी सटीकता से स्थापित किया गया.
• यह उपग्रह मौसम संबंधी आंकड़े एकत्रित करेगा जिसका उपयोग कृषि एवं विज्ञान संबंधी कार्यों में हो सकेगा.
• इनसैट-3डीआर में लगाये गये कैमरे से यह रात में अधिक साफ फोटो खींच सकेगा.
• जीएसएलवी द्वारा इनसैट-3डीआर को 36 हज़ार किलोमीटर ऊपर छोड़ा जायेगा.
• यह रेडिएशन, समुद्री सतह के तापमान, बर्फ की सतह, कोहरे आदि की जानकारी देगा.
• इनसैट-3डीआर का वजन 2,211 किलोग्राम है जो दूसरा सबसे अधिक वजनदार सैटेलाइट
जीएसएलवी की सफलताएं
इससे पहले जीएसएलवी की सहायता से जनवरी 2014 में डी-5 तथा अगस्त 2015 में डी-6 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया. इन उड़ानों से जीएसएटी-14 और जीएसएटी-6 को लक्षित जीटीओ में पूरी सटीकता से स्थापित किया गया.
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