प्रख्यात कवि, उपन्यासकार और लघुकथा लेखक कश्मीरी लाल जाकिर का 97 वर्ष की अवस्था में 31 अगस्त 2016 को चंडीगढ़ के अस्पताल में निधन हो गया.
जाकिर हरियाणा उर्दू अकादमी के चेयरमैन भी थे. उनका निधन उर्दू और हिंदी साहित्य के लिए बड़ी क्षति है. भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी उनकी रचनाएं लोकप्रिय हुई.
कश्मीरी लाल जाकिर के बारे में-
- कश्मीरी लाल जाकिर का जन्म 7 अप्रैल 1919 को पाकिस्तान में हुआ.
- वह अंग्रेजी और शिक्षा में स्नातकोत्तर थे.
- उन्होंने उर्दू, हिंदी, पंजाबी और अंग्रेजी में 100 से ज्यादा किताबें लिखीं.
- साहित्य के क्षेत्र में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
- उनके अलावा सरदार अंजुम को साहित्य के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया गया.
- उनकी रचनाएं उर्दू और हिंदी दोनों भाषाओँ में प्रकाशित हुई.
- उन्होंने 8 दशक तक उर्दू और हिंदी साहित्य को अपना योगदान दिया. 1940 के दशक में उन्होंने लिखना शुरू किया था.
- वह लगभग तीन दशक तक हरियाणा उर्दू अकादमी के निदेशक पद पर रहे.
- ज़ाकिर लम्बी अवधि तक हरियाणा के शिक्षा विभाग और बाद में चंडीगढ़ प्रशासन के शिक्षा विभाग में सेवारत भी रहे.
- ब्रिटिश इंडिया के समय पंजाब एजुकेशन डिपार्टमेंट में नौकरी की.
- उनके उपन्यास ‘करमांवाली’ पर नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ने 100 से ज्यादा नाटक खेले.
- उस पर दूरदर्शन ने भी धारावाहिक बनाया.
- ज़ाकिर को पदमश्री के अलावा राष्ट्रीय गालिब पुरस्कार, शिरोमणि साहित्यकार सम्मान, एनएलएम युनेस्को, साहिर लुधियानवी और फख्र-ए-हरियाणा जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.
- उनके लेख पहली बार लाहौर की एक मैगजीन में छपे थे.
- हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों अम्बाला हो या करनाल, पंचकूला हो या चंडीगढ़, पटियाला, अखिल भारतीय उर्दू मुशायरों की परम्परा के सूत्रधार कश्मीरी लाल ज़ाकिर ही हुआ करते थे.
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