शोधकर्ताओं के एक समूह ने यह पाया है कि भूमिगत जल का न केवल अत्यधिक दोहन हो रहा है अपितु आर्सेनिक एवं नमक संदूषण भी बढ़ रहा है.
यह अध्ययन भूजल गुणवत्ता और गंगा के बेसिन में कमी शीर्षक के साथ 29 अगस्त 2016 को पत्रिका नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित किया गया.
इस अध्ययन में भारत, पाकिस्तान, नेपाल एवं बांग्लादेश के स्थानीय डाटा तथा 3429 कुओं के सैंपल एकत्रित किये गये.
अध्ययन में यह भी पाया गया कि भूजल का अधिक दुरूपयोग शहरी इलाकों जैसे पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में हो रहा है.
यह अध्ययन भूजल गुणवत्ता और गंगा के बेसिन में कमी शीर्षक के साथ 29 अगस्त 2016 को पत्रिका नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित किया गया.
इस अध्ययन में भारत, पाकिस्तान, नेपाल एवं बांग्लादेश के स्थानीय डाटा तथा 3429 कुओं के सैंपल एकत्रित किये गये.
अध्ययन में यह भी पाया गया कि भूजल का अधिक दुरूपयोग शहरी इलाकों जैसे पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में हो रहा है.
अध्ययन की मुख्य विशेषताएं
• 300 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) का लगभग 23 प्रतिशत भाग पूरी तरह खारा है जबकि 40 प्रतिशत आर्सेनिक के कारण प्रदूषित है.
• संकलित की गयी तालिका में पर्याप्त स्थानिक परिवर्तनशीलता के संकेत मिलते हैं.
• 19 और 20 वीं शताब्दी में निर्मित नहरों द्वारा भूजल प्रभावित रहा है.
• पानी का सबसे अधिक दोहन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ है
• 300 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) का लगभग 23 प्रतिशत भाग पूरी तरह खारा है जबकि 40 प्रतिशत आर्सेनिक के कारण प्रदूषित है.
• संकलित की गयी तालिका में पर्याप्त स्थानिक परिवर्तनशीलता के संकेत मिलते हैं.
• 19 और 20 वीं शताब्दी में निर्मित नहरों द्वारा भूजल प्रभावित रहा है.
• पानी का सबसे अधिक दोहन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ है
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