मदर टेरेसा को रोमन कैथोलिक संत का दर्जा दिए जाने की घोषणा-(16-MAR-2016) C.A

| Wednesday, March 16, 2016
पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को 4 सितंबर 2016 को आयोजित कार्यक्रम में रोमन कैथोलिक संत का दर्जा दिए जाने की 15 मार्च 2016 को घोषणा की.
पोप ने कार्डिनल्स की बैठक में मदर टेरेसा को उनके अमूल्य योगदान के लिए संत का दर्जा दिए जाने को अंतिम स्वीकृति दी. टेरेसा के निधन के बाद उनके दो चमत्कारों की वजह से उन्हें संत घोषित किया गया.
गौरतलब है कि संत का दर्जा पाने के लिए उस शख्स से जुड़े दो चमत्कारों की जरूरत होती है. पहले चमत्कार में मदर ने मोनिका बेसरा नाम की बंगाली ट्राइबल महिला को पेट के ट्यूमर से मुक्ति दिलाई थी. वर्ष 2003 में एक कार्यक्रम के दौरान पोप जॉन पॉल द्वितीय ने मदर के पहले चमत्कार को मान्यता देते हुए उन्हें धन्य (Beatification) घोषित किया था. ये संत बनाए जाने की प्रक्रिया का पहला चरण है.
मदर टेरेसा को वर्ष 2008 में ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित ब्राजील के एक व्यक्ति को बिमारी से निजात दिलाने के कारण संत घोषित किया गया.
संत घोषित करने की प्रकिया
  • संत घोषित करने की प्रक्रिया चार चरणों में पूरी होती है.
  • पहले चरण में, संबंधित महान व्यक्ति के फॉलोअर्स लोकल बिशप के सामने उस शख्स की महानताओं और दैवीय गुणों को सिद्ध करते हैं और भगवान के सेवक घोषित करते हैं.
  • दूसरे चरण में पोप उस व्यक्ति को पूज्य (Venerable) की उपाधि देते हैं.
  • तीसरे चरण में पोप उसे धन्य (Blessed) की उपाधि देते हैं.
  • अंतिम चरण में रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप के द्वारा संत (Saint) की उपाधि दी जाती है. संत बनाए जाने की प्रोसेस को कैनोनाइजेशन (Canonization) कहते हैं.
चरण
भगवान के सेवक →   पूज्य  →   धन्य →  संत

मदर टेरेसा  के बारे में
मदर टेरेसा का जन्म अग्नेसे गोंकशे बोजशियु के नाम से एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, ओटोमन साम्राज्य (आज का सोप्जे, मेसेडोनिया गणराज्य) में हुआ था. मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिनके पास भारतीय नागरिकता थी. उन्होंने 1950 में कोलकाता में मिशनरीज़ ऑफ चेरिटी की स्थापना की. 45 सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ और मरते हुए इन्होंने लोगों की मदद की और साथ ही चेरिटी के मिशनरीज के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया.
मदर टेरेसा को वर्ष 1979 नोबल शांति पुरस्कार और वर्ष 1980 में में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया. मदर टेरेसा  का 5 सितंबर 1997 को निधन हो गया. मदर टेरेसा को गटरों के संत के नाम से भी जाना जाता था

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