केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने 13 मार्च 2016 को फैसला दिया कि सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 (आरटीआई) के तहत राज्य और केंद्रीय सरकार के कैबिनेट मंत्री भी आरटीआई में मांगी गई जानकारी हेतु प्राधिकारी हैं.
- नियम के अनुसार कैबिनेट व राज्य मंत्री भी आरटीआई अधिनियम के तहत आवेदक द्वारा मांगी गयी जानकारी सम्बन्धी विवरण की जानकारी जनता को प्रदान करने हेतु उत्तरदायी हैं.
- यह फैसला केंद्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने अहमदनगर के हेमंत ढगे द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के बाद दिया.
निर्णय का विवरण-
- आरटीआई अधिनियम के तहत पूछी गयी जानकारी प्रदान करने के लिए लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) मंत्रियों के कार्यालय में नियुक्त किया जाना चाहिए.
- केंद्र और राज्य सरकारों ने मंत्रियों की सहायता हेतु प्रथम अपीलीय अधिकारियों (पीआईओ) के रूप में कुछ अधिकारियों की नियुक्ति करने हेतु दिशा निर्देश जारी किए थे.
- मंत्रियों की 'गोपनीयता की शपथ' को आरटीआई अधिनियम के तहत 'पारदर्शिता की शपथ' के साथ प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए. सूचना का अधिकार मौलिक अधिकार है, जो संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) में निहित है.
- लोक प्राधिकरण के मामले में धारा 2 (एच) के तहत सूचना का अधिकार अधिनियम सभी व्यक्तियों/ व्यक्तिगत (मंत्रियों) सहित या निकायों (विधायिका) संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति की तरह कार्य करता है.
मामले के बारे में-
- आरटीआई आवेदन में हेमंत धेग ने केंद्रीय मंत्री (विधि और न्याय) के स्टाफ से कैबिनेट मंत्रियों और राज्य मंत्रियों से आम जनता के मिलने हेतु निर्धारित समय के बारे में जानकारी मांगी थी. इस आरटीआई के जवाब में स्टाफ ने अपीलार्थी को निर्देश दिया कि वह खुद इस मामले में संज्ञान ले और पता करके मंत्री के साथ और मिलाने का समय निर्धारित कर ले.
- मंत्रालय में किसी भी नामित जन सूचना अधिकारी की अनुपस्थिति में अपीलार्थी निवारण हेतु उच्च अधिकारियों और अंत में सीआईसी से संपर्क कर सकता है.
0 comments:
Post a Comment