राज्यसभा में सिख गुरुद्वारा (संशोधन) विधेयक पारित-(18-MAR-2016) C.A

| Friday, March 18, 2016
राज्यसभा ने 16 मार्च 2016 को सिख गुरूद्वारा (संशोधन) विधेयक, 2016 सर्वसम्मति से पारित कर दिया. इस विधेयक में सिख समुदाय की धार्मिक संस्थाओं के चुनाव में सहजधारी सिखों को मतदान के अधिकार से दूर रखने का प्रस्ताव है.
सहजधारी सिखों को वर्ष 1944 में यह अधिकार दिया गया था. केश कटा चुके सिखों को सहजधारी सिख कहा जाता हैं.
विधेयक में कानून के अंतर्गत गठित होने वाले बोर्ड और समितियों के सदस्यों के चुनाव में सहजधारी सिखों को मिले मतदान का अधिकार समाप्त करने का प्रस्ताव है.
इस विधेयक के अनुसार केंद्र सरकार ने पंजाब पुनर्गठन कानून 1966 के तहत 8 अक्तूबर 2003 को एक अधिसूचना जारी कर सहजधारी सिखों को इन बोडो' एवं समिति के सदस्यों के निर्वाचन के लिए मिले अधिकारों को हटा दिया था.
इसके बाद में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 20 दिसंबर 2011 के अपने एक आदेश में केंद्र सरकार की इस अधिसूचना को निरस्त कर दिया था. मौजूदा विधेयक के तहत सहजधारी सिखों के इस अधिकार को हटाने का प्रावधान है जो 8 अक्तूबर 2003 से प्रभावी होगा.
गौरतलब है कि आल इंडिया गुरुद्वारा एक्ट 1925 के तहत सहजधारियों को एसजीपीसी के चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं है. सिख गुरुद्वारा अधिनियम वर्ष 1925 में बना था. इसमें सिखों को वोटिंग का अधिकार था. वर्ष 1959 में सहजधारियों को भी एस.जी.पी.सी. चुनाव में मताधिकार मिल गया. अक्तूबर 2003 में तत्कालीन एनडीए सरकार ने एक्ट में संशोधन करते हुए सहजधारियों को वोटिंग से वंचित कर दिया था.

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