जीका का मुकाबला करने के लिए आईएईए द्वारा 2.3 मिलियन यूरो की परियोजना के तहत स्टेराइल इंसेक्ट तकनीक का हस्तांतरण-(15-MAR-2016) C.A

| Tuesday, March 15, 2016
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने 8 मार्च 2016 को लैटिन अमेरिका और कैरिबयन देशों को जीका वायरस से मुकाबला करने में मदद करने हेतु 2.3 मिलियन यूरो की पहल को मंजूरी दे दी. विभिन्न प्रकार के कीटों को मारने में इस्तेमाल किए जाने वाले नाभकीय तकनीक का इस्तेमाल इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए किया जाएगा.
इस परियोजना के तहत आईएईए स्टेराइल इंसेक्ट तकनीक (एसआईटी) का हस्तांतरण करेगा. यह कीट नियंत्रण का एक प्रकार होता है जो विशेष सुविधाओं में बड़े पैमाने पर पैदा होने वाले नर– कीटों को जीवाणुहीन बनाने के लिए आयनीकरण विविकरण का प्रयोग करता है. 
परियोजना की मुख्य विशेषताएं
• आईएईए विशेष उपकरणों को दान करेगा और जीका वायरस को वहन करने वाले एडीज मच्छरों के खिलाफ इस तकनीक के प्रयोग हेतु स्थानीय कर्मचारियों को प्रशिक्षित करेगा. 
• परियोजना एडीज मच्छर की आबादी के नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय और क्षेत्रीय तंत्र को मजबूत बनाएगा. 
• जीवाणुरहित नर मच्छरों को प्रभावित क्षेत्रों में छोड़ा जाएगा जहां वे वन्य मादाओं से संबंध बनाएंगे, इससे कोई संतति नहीं होगी. ऐसा करने से मच्छरों की आबादी और बीमारी का संचरण बहुत कम हो जाएगा. 
यह परियोजना फरवरी 2016 में ब्राजील में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक बैठक में आयोजित की गई थी. इसका उद्देश्य था मच्छरों की आबादी पर नियंत्रण पाने के लिए व्यापक दृष्टिकोण के हिस्से के तौर पर तकनीक के प्रयोग पर चर्चा करना. यह परियोजना इस बैठक में की गई सिफारिशों के आधार पर ही तैयार की गई है.
अब तक जीका वायरस 31 देशों और अमेरिकी प्रदेशों में फैल चुका है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति घोषित किया है. डब्ल्यूएचओ के अनुमान के अनुसार 2016 में अमेरिकी में जीका वायरस तीन से चार मिलियन लोगों को अपनी चपेट में ले लेगा.
यह वायरस मस्तिष्क संबंधी बीमारियों से जुड़ा हो सकता है और इसका तत्काल कोई इलाज नहीं है.
स्टेराइल इंसेक्ट तकनीक  (एसआईटी) के बारे में
स्टेराइल इंसेक्ट तकनीक (एसआईटी) कीट नियंत्रण का रूप है जिसमें आयनीकरण विविकरण का प्रयोग विशेष पालन सुविधा में बड़े पैमाने पर पैदा होने वाले नर कीटों को जीवाणुरहित बनाने के लिए किया जाता है.
वर्ष 1997 से खाद्य एवं कृषि में एफएओ/आईएईए परमाणु तकनीक में संयुक्त प्रभाग द्वारा एसआईटी को कई देशों में स्थांतरित किया गया है. इस तकनीक को खाद्य एवं फसलों को कीटों से बचाने और मच्छरों समेत बीमारी का संचरण करने वाले कीटों से मुकाबला करने के लिए हस्तांतरित किया गया है.
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के साथ भागीदारी में आईएईए ने एसआईटी के विकास एवं आवेदन में वैश्विक अनुसंधान की अगुआई की है.

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