विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस सम्पूर्ण विश्व में मनाया गया-(16-MAR-2016) C.A

| Wednesday, March 16, 2016
15 मार्च: विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 15 मार्च 2016 को सम्पूर्ण विश्व में मनाया गया. इसका उद्देश्य लोगों को उपभोक्ता अधिकारों के प्रति जागरूक करना एवं बाजार की गड़बड़ियों और सामाजिक अन्याय के खिलाफ विरोध व्यक्त करना है.
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस दुनिया भर में उपभोक्ता इंटरनेशनल (सीआई) द्वारा एंटीबायोटिक्स प्रतिरोधकता  (एंटीबायोटिक ऑफ द मेनू) थीम के साथ मनाया गया.
थीम की महत्वता
एंटीबायोटिक्स के अत्यधिक प्रयोग से लोगों में बीमारियों के प्रति प्रतिरोध क्षमता घटती जा रही है, साथ ही कई अन्य बीमारियां भी पनप रही हैं. सम्पूर्ण विश्व में एंटीबायोटिक्स प्रतिरोधकता खतरनाक उच्च स्तर पर हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एंटीबायोटिक्स के सावधानी से उपयोग करने के लिए चेतावनी जारी की.
भारत में सर्वाधिक करीब 1300 करोड़ एंटीबायोटिक्स टेबलेट प्रतिवर्ष प्रयोग में ली जाती हैं. चीन में 1000 करोड़, वहीं अमरीका में यह आंकड़ा 700 करोड़ वार्षिक है. विश्व एंटीबायोटिक्स रिपोर्ट 2015 के अनुसार एंटीबायोटिक्स के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से भारत में लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता पर भी बुरा असर पड़ा है.
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के बारे में
  • वर्ष 1962 में अमेरिकी कांग्रेस में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा दिए गए ऐतिहासिक भाषण के उपलक्ष्य में हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है.
  • कैनेडी ने अपने भाषण में पहली बार उपभोक्ता अधिकारों की परिभाषा को रेखांकित किया. वह दुनिया के पहले नेता थे जिन्होने औपचारिक रूप से 'उपभोक्ता अधिकारों' को परिभाषित किया.
  • विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 15 मार्च 1983 को पहले बार मनाया गया था और बाद में यह एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया.

भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 

भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को मनाया जाता है. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम विधेयक 24 दिसंबर 1986 को पारित हुआ था. उपभोक्ताा संरक्षण अधिनियम उपभोक्तारओं के अधिकारों की बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्यक सहित संयुक्तु मार्गदर्शी सिद्धांतों के आधार पर 1986 में लागू किया गया था.
इस अधिनियम में मुख्यशत: दंडात्माक या निवारणात्मकक मार्ग के स्था न पर शोषण और अनुचित रूप से लेनदेन के विभिन्नि प्रकारों के खिलाफ उपभोक्तादओं को प्रभावी सुरक्षा प्रदान की जाती है. यह सभी वस्तुोओं और सेवाओं पर लागू होता है जब तक कि इसे विशेष रूप से छूट न दी जाएं और इसमें तीव्र तथा कर्म खर्चीले न्याीय मार्ग के लिए निजी, सार्वजनिक और सहकारी क्षेत्रों को शामिल किया जाता है.
उपभोक्ता, संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत अधिकार भारत के संविधान की धारा 14 से 19 बीच अधिकारों से आरंभ होते हैं.
इसके बाद इस अधिनियम में 1991 तथा 1993 में संशोधन किये गए. उपभोक्ता1 संरक्षण अधिनियम को अधिकाधिक कार्यरत और प्रयोजनपूर्ण बनाने के लिए दिसंबर 2002 में एक व्या पक संशोधन लाया गया और 15 मार्च 2003 से लागू किया गया. परिणामस्व रूप उपभोक्ता0 संरक्षण नियम, 1987 में भी संशोधन किया गया और 5 मार्च 2004 को अधिसूचित किया गया था

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