प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 23 मार्च 2016 को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के क्रियान्वयन को मंजूरी प्रदान की. इस योजना का उद्देश्य वर्ष 2022 तक सभी के लिए आवास मुहैया कराना है.
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत पहले तीन वर्षों के दौरान सरकार एक करोड़ आवास बनाने के लिए लगभग 81975 करोड़ रुपये खर्च करेगी.
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत पहले तीन वर्षों के दौरान सरकार एक करोड़ आवास बनाने के लिए लगभग 81975 करोड़ रुपये खर्च करेगी.
योजना के मुख्य बिंदु
• योजना के तहत सरकार मैदानी इलाकों में रहने वालों को आवास निर्माण के लिए 1.20 लाख रुपये प्रति आवास और पहाड़ी तथा कठिन इलाकों में रहने वालों को 1.30 लाख रुपये की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगी.
• इस योजना को देशभर में ग्रामीण क्षेत्रों में अमल में लाया जाएगा, हालांकि दिल्ली और चंडीगढ़ इसमें शामिल नहीं है.
• 2016-17 और 2018-19 के बीच एक करोड़ मकान बनाने पर 81,975 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी.
• 68,000 करोड़ रुपये बजट प्रावधान के जरिए उपलब्ध कराए जाएंगे. उन्होंने कहा कि शेष 21,975करोड़ रुपये की राशि राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के जरिए ऋण के रूप में पूरी की जाएगी.
• लाभार्थी की पहचान के लिए वर्ष 2011 की सामाजिक-आर्थिक जातीय जनगणना (एसईसीसी) के आंकड़ों का इस्तेमाल किया जाएगा.
पृष्ठभूमि
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मई 2014 में संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा था, “देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष (वर्ष 2022) होने पर देश के प्रत्येक नागरिक को पक्का मकान उपलब्ध कराया जायेगा जिसमें शौचालय एवं बिजली की व्यवस्था भी होगी.” केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तुत किये गये 2015-16 के बजट में भी इस बात पर विशेष बल भी दिया गया.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मई 2014 में संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा था, “देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष (वर्ष 2022) होने पर देश के प्रत्येक नागरिक को पक्का मकान उपलब्ध कराया जायेगा जिसमें शौचालय एवं बिजली की व्यवस्था भी होगी.” केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तुत किये गये 2015-16 के बजट में भी इस बात पर विशेष बल भी दिया गया.
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