8 जनवरी 2015 को घातक
नील जिह्वा रोग (ब्लू टंग डीजिज) से निपटने के लिए रक्षा ब्लू नाम के वैक्सीन को
लॉन्च किया गया. इसे हैदराबाद, तेलंगाना में इंडियन
इम्युनोलॉजिकल्स लिमिटेड (आईआईएल) की गाचीबाउली सुविधा द्वारा शुरु किया गया है.
वैक्सीन को लॉन्च करने का उद्देश्य नील जिह्वा रोग की वजह
से पशु खेती समुदाय को होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करना है.
नील जिह्वा रोग के लिए यह भारत का पहला वैक्सीन है.
विषाणु से फैलने वाली इस बीमारे के पूरी दुनिया में 24 प्रकार हैं. इनमें से पांच प्रकार भारत में अधिक प्रचिलत हैं.
वैक्सीन को देश में 'ब्लूटंग' वायरस के पांच प्रकार से जानवरों को बचाने के लिए किया गया है.
किसानों के लिए वैक्सीन की हर खुराक पांच रूपये में उपलब्ध होगी.
यह वैक्सीन आईआईएस, TANUVAS (तमिलनाडु
यूनिवर्सिटी ऑफ वेटेनरी एंड एनिमल साइंसेस) और आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान
परिषद) के सामूहिक प्रयास का परिणाम है. इस वैक्सीन को बनाने में तीन वर्ष का समय
लगा है.
इस वैक्सीन को आईआईएल के हैदराबाद सुविधा में विकसित किया
जाएगा जो तीन मिलियन खुराकों की पहली खेप तैयार करेगा.
यह वैक्सीन चार वर्ष की उम्र वाले पशुओं की आबादी को दिया
जाएगा और तीम महीनों में बूस्टर खुराक एवं हर वर्ष एक खुराक उन्हें दी जाएगी.
नील जिह्वा रोग (ब्लूटंग डिजीज)
नील जिह्वा रोग (ब्लूटंग डिजीज) एक गैर– संक्रामक, कीटों से फैलने वाला, जुगाली करने वाले जानवरों को होने वाली वायरल बीमारी है जो देश भर के लाखों भेड़ों, बकरियों, भैंसों, हिरण, ऊंटों और मृगों को प्रभावित करती है. यह रोगजनक वायरस– रीयोवीरीडे परिवार के ऑर्बिवायरस जीनस के ब्लूटंग वायरस (बीटीवी) की वजह से होता है और यह मिड्ज कुलीकोडिज इमिकोला, कूलिकोडिज वारिपेन्निस और अन्य कुलिकोडिस के जरिए फैलता है.
नील जिह्वा रोग (ब्लूटंग डिजीज) एक गैर– संक्रामक, कीटों से फैलने वाला, जुगाली करने वाले जानवरों को होने वाली वायरल बीमारी है जो देश भर के लाखों भेड़ों, बकरियों, भैंसों, हिरण, ऊंटों और मृगों को प्रभावित करती है. यह रोगजनक वायरस– रीयोवीरीडे परिवार के ऑर्बिवायरस जीनस के ब्लूटंग वायरस (बीटीवी) की वजह से होता है और यह मिड्ज कुलीकोडिज इमिकोला, कूलिकोडिज वारिपेन्निस और अन्य कुलिकोडिस के जरिए फैलता है.
लक्षण– बुखार और नीले रंग
की जीभ.
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