केंद्र सरकार गुयाना को उसकी सड़क संरचनात्मक परियोजनाओं एवं यात्रि
नौका सेवाओं के लिए 60 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी)
देगा. यह एलओसी देश को उसके परिवहन समस्याओं से निपटने में मदद करेगा.
एलओसी देने का फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने
गुजरात के गांधीनगर में आयोजित 13वें प्रवासी भारतीय
दिवस के दौरान गुयाना के राष्ट्रपति डोनॉल्ड आर रामोटर के साथ हुए द्विपक्षीय
वार्ता के दौरान किया. गुयाना के राष्ट्रपति प्रवासी भारतीय दिवस के मुख्य अतिथि
थे.
भारत– गुयाना संबंध
भारत और गुयाना एक समय ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था और ये आपस में ऐतिहासिक संबंध साझा करते हैं क्योंकि 3 लाख से अधिक गुयानावासी भारतीय मूल के हैं. गुयाना में भारतीय– गुयानावासी सबसे बड़े जातीय समूह का निर्माण करते हैं.
भारत और गुयाना एक समय ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था और ये आपस में ऐतिहासिक संबंध साझा करते हैं क्योंकि 3 लाख से अधिक गुयानावासी भारतीय मूल के हैं. गुयाना में भारतीय– गुयानावासी सबसे बड़े जातीय समूह का निर्माण करते हैं.
आर्थिक सहयोग के मामले में भारत ने गुयाना को पारस्परिक
रूप से स्वीकार किए गए नामित क्षेत्रों के लिए ऋण सुविधाओं की पेशकश की है. इनमें
से दो हैं कृषि और सूचना प्रौद्योगिकी. गुयाना वासियों को भारत से शैक्षणिक
उद्देश्यों के लिए छात्रवृत्ति देने की भी पेशकश की गई है जैसे इंडियन टेक्निकल
एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन (आईटीईसी) के जरिए दिए जाने वाली चालीस छात्रवृत्तियां.
दोनों देश कुछ सांस्कृतिक संबंधों को भी साझा करते हैं.
भारत ने जॉर्जटाउन में 1972 में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की
स्थापना की थी. इसका उद्देश्य भारत और गुयाना एवं उनके लोगों के बीच सांस्कृतिक
संबंधों और आपसी समझ को मजबूत बनाना था.
दोनों ही देश मई 1966 में
गुयाना की स्वतंत्रता के बाद से सौहार्दपूर्ण रिश्ता भी साझा करते हैं. भारत की
स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1968 में गुयाना का
दौरा किया था. इसके बाद भारत के स्वर्गीय उपराष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने 1988
में और भारत के स्वर्गीय उप राष्ट्रपति भैरों सिंघ शेखावत ने 2006
में गुयाना का दौरा किया था.
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