वन और वन्य जीवन विभाग ने सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान को एक सप्ताह
के लिए 11 जनवरी 2015 को बंद
कर दिया. 47 प्रवासी पक्षी इस पार्क में 10 जनवरी 2015 को मृत पाए गए थे. इस घटना के बाद पार्क
को बंद कर दिया गया.
सभी पक्षियां कॉमन प्रजाति की हैं जो चीन से उड़ान भरकर भारत प्रवास
के लिए यहां पहुंची थी. जांच दल के मुताबिक
पक्षियों में बर्ड फ्लू जैसा कोई लक्षण नहीं पाया गया है. मृत पक्षियों के नमूने
मृत्यु का कारण पता करने के लिए भोपाल में उच्च सुरक्षा पशु रोग के राष्ट्रीय
संस्थान में जांच हेतु भेजे गए हैं. आमतौर पर सुल्तानपुर अभ्यारण्य में 20 से 22 हजार पक्षियों का जमावाड़ा होता है. लेकिन
सर्दियों के दिनों में झील में विचरण करने वाले कुल पक्षियों की संख्या 35 हजार के पार हो जाती है, जिसमें 250 से अधिक विभिन्न प्रकार की प्रजातियां शामिल हैं. ये सभी पक्षियां सर्दी
के दिनों में साइबेरिया, यूरोप, अफगानिस्तान,
न्यूजीलैंड, पनामा चीन सहित कई देशों से
लगातार उड़ान भरकर सुल्तानपुर लेक पहुंचती है.
सुल्तानपुर नेशनल पार्क से संबंधित
सुलतानपुर राष्ट्रीय पार्क, गुड़गांव-फर्रुख नगर रोड पर हरियाणा के गुड़गांव जिले में स्थित है. एक सौ से अधिक वर्ष से, सुल्तानपुर झील पक्षियों को आकर्षित करता आ रहा है. लेकिन यह सिर्फ 1969 का ही समय था जब नई दिल्ली में प्रकृति और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण (आईयूसीएन) के अंतर्राष्ट्रीय संघ के सम्मेलन में इस आर्द्रभूमि की संभावना को आधिकारिक विस्तार में प्रकाशित किया गया था. झील (1.21 वर्ग किलोमीटर के एक क्षेत्र) को 1959 के पंजाब वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 8 के तहत 2 अप्रैल 1971 को अभयारण्य का दर्जा प्रदान किया गया था. वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 35 के तहत पार्क को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में 5 जुलाई 1991 को उन्नत किया गया. इसके साथ ही इसके क्षेत्र में 1.42 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई थी. राष्ट्रीय उद्यान सधराना, चंदू, सुल्तानपुर और सईदपुर गांवों की भूमि को लेकर बनाया गया है.
सुल्तानपुर नेशनल पार्क से संबंधित
सुलतानपुर राष्ट्रीय पार्क, गुड़गांव-फर्रुख नगर रोड पर हरियाणा के गुड़गांव जिले में स्थित है. एक सौ से अधिक वर्ष से, सुल्तानपुर झील पक्षियों को आकर्षित करता आ रहा है. लेकिन यह सिर्फ 1969 का ही समय था जब नई दिल्ली में प्रकृति और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण (आईयूसीएन) के अंतर्राष्ट्रीय संघ के सम्मेलन में इस आर्द्रभूमि की संभावना को आधिकारिक विस्तार में प्रकाशित किया गया था. झील (1.21 वर्ग किलोमीटर के एक क्षेत्र) को 1959 के पंजाब वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 8 के तहत 2 अप्रैल 1971 को अभयारण्य का दर्जा प्रदान किया गया था. वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 35 के तहत पार्क को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में 5 जुलाई 1991 को उन्नत किया गया. इसके साथ ही इसके क्षेत्र में 1.42 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई थी. राष्ट्रीय उद्यान सधराना, चंदू, सुल्तानपुर और सईदपुर गांवों की भूमि को लेकर बनाया गया है.
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