अमेरिका
के टेक्सास विश्वविद्यालय के खगोल वैज्ञानिकों के अंतरराष्ट्रीय दल ने पृथ्वी से 30 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित आकाशगंगा की खोज की. इस आकाशगंगा का नाम जेड-8
जीएनडी 5296 (Z8-GND-5296) है. यह आकाशगंगा
इससे पहले तक खोजी गई किसी भी आकाशगंगाओं में सबसे दूर स्थित है. शोधकर्ताओं की यह
रिपोर्ट विज्ञान पत्रिका नेचर में 23 अक्टूबर 2013 को प्रकाशित हुई.
स्टीवन फिनकेलस्टीन के नेतृत्व वाले शोधकर्ताओं द्वारा जेड-8 जीएनडी 5296 (Z8-GND-5296) नामक आकाशगंगा को नासा की हब्बल स्पेस दूरबीन एचएसटी की सहायता से खोजा गया. इसकी पुष्टि हवाई द्वीप स्थित खगोलीय वेधशाला ने की है.
जेड-8 जीएनडी 5296 (Z8-GND-5296) की निर्माण प्रक्रिया (बिग बैंग महाविस्फोट) के 70 करोड़ वर्ष बीत जाने के बाद इसकी खोज की गई है.
खगोल वैज्ञानिकों ने कहा कि ब्रह्मांड का विस्तार लगातार हो रहा है और इसमें मौजूद सभी चीजें लगातार गतिशील हैं. प्रकाश की तरंगों में लगातार खिंचाव उत्पन्न हो रहा है. इसके कारण यह चीजें वास्तविक रूप से अधिक चमकदार नजर आती हैं.
खगोल वैज्ञानिक नासा की अत्याधुनिक जेम्स वेब स्पेस दूरबीन जेएसडब्ल्यूएसटी की मदद से और अधिक दूर स्थित आकाशगंगाओं को खोजने में सक्षम हो सकेंगे.
आकाशगंगा जेड-8 जीएनडी 5296 (Z8-GND-5296) की विशेषताएं
• वैज्ञानिकों के अनुसार इस आकाशगंगा के वर्ण प्रकीर्णन अर्थात लाल विचलन (रेड शिफ्ट) की दर 7.51 है. इससे पूर्व यह दर 7.21 थी.
• इसका निर्माण भी अन्य आकाशगंगा की भांति गैस और धूल कणों की सहायता से हुआ.
• यह हमारी आकाशगंगा से भी कई गुणा अधिक दूर से न केवल तारों का निर्माण कर रही है बल्कि इन तारों को खुद में समाहित भी करती जा रही है.
• इस आकाशगंगा की खोज के बाद वैज्ञानिकों को आकाशगंगाओं के भौतिक स्वरूप, उत्पत्ति और उनके केंद्र विकास के अध्ययन में व्यापक मदद मिलेगी.
स्टीवन फिनकेलस्टीन के नेतृत्व वाले शोधकर्ताओं द्वारा जेड-8 जीएनडी 5296 (Z8-GND-5296) नामक आकाशगंगा को नासा की हब्बल स्पेस दूरबीन एचएसटी की सहायता से खोजा गया. इसकी पुष्टि हवाई द्वीप स्थित खगोलीय वेधशाला ने की है.
जेड-8 जीएनडी 5296 (Z8-GND-5296) की निर्माण प्रक्रिया (बिग बैंग महाविस्फोट) के 70 करोड़ वर्ष बीत जाने के बाद इसकी खोज की गई है.
खगोल वैज्ञानिकों ने कहा कि ब्रह्मांड का विस्तार लगातार हो रहा है और इसमें मौजूद सभी चीजें लगातार गतिशील हैं. प्रकाश की तरंगों में लगातार खिंचाव उत्पन्न हो रहा है. इसके कारण यह चीजें वास्तविक रूप से अधिक चमकदार नजर आती हैं.
खगोल वैज्ञानिक नासा की अत्याधुनिक जेम्स वेब स्पेस दूरबीन जेएसडब्ल्यूएसटी की मदद से और अधिक दूर स्थित आकाशगंगाओं को खोजने में सक्षम हो सकेंगे.
आकाशगंगा जेड-8 जीएनडी 5296 (Z8-GND-5296) की विशेषताएं
• वैज्ञानिकों के अनुसार इस आकाशगंगा के वर्ण प्रकीर्णन अर्थात लाल विचलन (रेड शिफ्ट) की दर 7.51 है. इससे पूर्व यह दर 7.21 थी.
• इसका निर्माण भी अन्य आकाशगंगा की भांति गैस और धूल कणों की सहायता से हुआ.
• यह हमारी आकाशगंगा से भी कई गुणा अधिक दूर से न केवल तारों का निर्माण कर रही है बल्कि इन तारों को खुद में समाहित भी करती जा रही है.
• इस आकाशगंगा की खोज के बाद वैज्ञानिकों को आकाशगंगाओं के भौतिक स्वरूप, उत्पत्ति और उनके केंद्र विकास के अध्ययन में व्यापक मदद मिलेगी.
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