सर्वोच्च
न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन
की खंडपीठ ने चेक बाउंस के मामले में निर्णय देते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण तथ्य
है कि कानून के तहत चेक की राशि के दोगुनी रकम तक जुर्माना करने का ही अधिकार
प्रदान किया गया है. इस सीमा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है. खंडपीठ ने अपने
फैसले में कहा कि अदालतों को वैधानिक प्रावधान का पालन करना चाहिए. न्यायाधीश
न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन की खंडपीठ ने सोमनाथ
सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय नई दिल्ली में 16 अक्टूबर 2013 को दिया.
खंडपीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में भी जहां अदालत नरम रुख अपनाते हुए अभियुक्त को जेल नहीं भेज रही हैं, उनमें भी चेक की रकम से दुगुनी राशि से अधिक का जुर्माना नहीं लगाया जा सकता है.
सर्वोच्च न्यायालय ने 69 हजार 500 रुपए का चेक बाउंस होने के मामले में सोमनाथ सरकार को एक लाख 49 हजार 500 रुपए का भुगतान करने का निर्देश देने संबंधी कलकत्ता उच्च न्यायालय का आदेश निरस्त कर दिया. इस मामले में निचली अदालत ने आरोपी को छह महीने की कैद की सजा सुनाने के साथ ही उसे चेक बाउंस के मामले में 80 हजार रुपए के मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया था.
प्रतिवादी सोमनाथ सरकार ने इस निर्णय को कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उसकी कैद की सजा माफ करते हुए उसे 69 हजार 500 रुपए का अतिरिक्त भुगतान करने का निर्देश दिया था. इसके बाद सोमनाथ सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की और कहा कि वह इस रकम का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय का आदेश निरस्त करते हुए जुर्माने की राशि 69 हजार 500 रुपए से घटाकर 20 हजार रुपए कर दी.
खंडपीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में भी जहां अदालत नरम रुख अपनाते हुए अभियुक्त को जेल नहीं भेज रही हैं, उनमें भी चेक की रकम से दुगुनी राशि से अधिक का जुर्माना नहीं लगाया जा सकता है.
सर्वोच्च न्यायालय ने 69 हजार 500 रुपए का चेक बाउंस होने के मामले में सोमनाथ सरकार को एक लाख 49 हजार 500 रुपए का भुगतान करने का निर्देश देने संबंधी कलकत्ता उच्च न्यायालय का आदेश निरस्त कर दिया. इस मामले में निचली अदालत ने आरोपी को छह महीने की कैद की सजा सुनाने के साथ ही उसे चेक बाउंस के मामले में 80 हजार रुपए के मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया था.
प्रतिवादी सोमनाथ सरकार ने इस निर्णय को कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उसकी कैद की सजा माफ करते हुए उसे 69 हजार 500 रुपए का अतिरिक्त भुगतान करने का निर्देश दिया था. इसके बाद सोमनाथ सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की और कहा कि वह इस रकम का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय का आदेश निरस्त करते हुए जुर्माने की राशि 69 हजार 500 रुपए से घटाकर 20 हजार रुपए कर दी.
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