सर्वोच्च
न्यायालय ने 162 में से केवल पांच दवाओं के क्लीनिकल
परीक्षणों को सशर्त मंजूरी दी. शेष 157 परीक्षणों पर एपेक्स
कमेटी और टेक्निकल कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद विचार होना है.
इसके
साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में यह व्यवस्था दी कि परीक्षण लोगों के
लाभ हेतु किया जाना चाहिए न कि कंपनियों के लाभ के लिए. सर्वोच्च न्यायालय के
न्यायमूर्ति आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह निर्देश दवाओं के क्लीनिकल
ट्रायल का मुददा उठाने वाली गैर सरकारी संगठन स्वास्थ्य अधिकार मंच की याचिका पर
सुनवाई के दौरान 21 अक्टूबर 2013 को
दिए.
न्यायमूर्ति आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा दिए गए निर्णय
के मुख्य बिंदु
• सर्वोच्च न्यायालय की पीठ के निर्णय के अनुसार, जिस
मरीज पर परीक्षण किया जाना है, उसकी सहमति की ऑडियो-वीडियो
रिकार्डिग की जानी चाहिए.
• पीठ के अनुसार, मौजूदा हालात में प्रस्तावों पर एपेक्स कमेटी व टेक्निकल कमेटी के विचार से पहले 157 परीक्षणों को मंजूरी नहीं दी जा सकती. मालूम हो कि सरकार ने क्लीनिकल परीक्षणों के प्रस्तावों की जांच के लिए इन कमेटियों का गठन किया है.
• सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने एपेक्स व टेक्निकल कमेटी को निर्देश दिया कि वह क्लीनिकल ट्रायल के प्रस्ताव पर विचार करते समय उससे जुड़े खतरे और परीक्षण की जरूरत पर भी विचार करे.
• पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि क्लीनिकल ट्रायल के मामलों की जांच हेतु एक समिति गठित होनी चाहिए.
• पीठ के अनुसार, मौजूदा हालात में प्रस्तावों पर एपेक्स कमेटी व टेक्निकल कमेटी के विचार से पहले 157 परीक्षणों को मंजूरी नहीं दी जा सकती. मालूम हो कि सरकार ने क्लीनिकल परीक्षणों के प्रस्तावों की जांच के लिए इन कमेटियों का गठन किया है.
• सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने एपेक्स व टेक्निकल कमेटी को निर्देश दिया कि वह क्लीनिकल ट्रायल के प्रस्ताव पर विचार करते समय उससे जुड़े खतरे और परीक्षण की जरूरत पर भी विचार करे.
• पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि क्लीनिकल ट्रायल के मामलों की जांच हेतु एक समिति गठित होनी चाहिए.
विदित
हो कि केंद्र सरकार ने कुल 162 परीक्षणों को
मंजूरी दी थी. इनमें से पांच को सभी जगह से मंजूरी मिली थी, जबकि
157 को एपेक्स कमेटी व टेक्निकल कमेटी से मंजूरी नहीं मिली
थी. इस मामले पर अगली सुनवाई 16 दिसम्बर 2013 को होनी है.
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