केंद्रीय गृह मंत्रालय के
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के 25 अक्टूबर 2013 को
जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 में पिछले वर्ष की तुलना
में देश भर के पुलिसवालों के विरूद्ध मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में बढ़ोत्तरी
हुई. वर्ष 2012 में पुलिसवालों के विरूद्ध मानवाधिकार के
उल्लंघन से संबंधित 205 मामले दर्ज किये गये जो कि वर्ष 2011
के 72 मामलों तथा वर्ष 2010 के 37 मामलों की तुलना में काफी अधिक हैं.
पुलिसवालों के विरूद्ध
वर्ष 2012 के मानवाधिकार उल्लंघन के दर्ज 205 मामलों में से मात्र 19 मामलों में आरोप पत्र दाखिल
किये गये और इन सभी मामलों में से एक में भी सजा नहीं दी गयी. दूसरी ओर इन मामलों
में से सर्वाधिक 102 मामले असम दर्ज किये गये जबकि दिल्ली
में 75 मामले दर्ज हुए. हालांकि असम में किसी भी मामले में
आरोप पत्र दाखिल नहीं हुए जबकि दिल्ली में 12 पुलिस वालों को
आरोपी बनाया गया.
वर्ष 2011 में
दिल्ली में पुलिसवालों के विरूद्ध 50 मामले थे जिनमे 40
के विरूद्ध आरोप पत्र दाखिल हुए. वर्ष 2010 में
बिहार व गुजरात में सर्वाधिक मानवाधिकार उल्लंघन के मामले पुलिसवालों के विरूद्ध
दर्ज हुए थे.
पुलिसवालों के विरूद्ध
मानवाधिकार उल्लंघन के मामले संबंधित हैं – व्यक्ति गुमशुदगी, गैर-कानूनी
गिरफ्तारी, फर्जी एनकाउंटर, आतंकवादियों/उग्रवादियों
के विरूद्ध उल्लंघन, जबरल वसूली, यातना,
गलत फसाव, प्रतिक्रिया में असफलता, महिलाओं का अपमान, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति
व अन्य पर अत्याचार.
पुलिसवालों के विरूद्ध
मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों के अतिरिक्त राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के
आकड़ों के अनुसार जेल में कारावास के दौरान वर्ष 2012 में 414 मृत्यु की घटनाएं हुईं. इनमें से सर्वाधिक 106 मामले
उत्तर प्रदेश के हैं.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड
ब्यूरो के आकड़ों के अनुसार देश के सभी कारागारों के कुल कैदियों में से 54.1 प्रतिशत
को आजीवन कारावास की सजा मिली हुई है जो कि राष्ट्रीय प्रतिशत है. इसमे से 59
प्रतिशत कैदियों को हत्या का दोषी करार दिया गया. उत्तर प्रदेश में
सर्वाधिक हत्या के दोषी करार हुए.
आजीवन कारावास के
राष्ट्रीय औसत 54.1 से कुल 12 राज्यों व केंद्र
शासित क्षेत्रों के औसत अधिक हैं, जो कि निम्नलिखित हैं –
1. दमन एवं दीव – 92.9%
2. झारखण्ड - 74.7%
3. आंध्र प्रदेश – 70.7%
4. छत्तीसगढ़ - 69.9%
5. मध्य प्रदेश – 66.8%
6. कर्नाटक – 64.7%
7. पुदुचेरी – 64.2%
8. बिहार – 62.7%
9. असम – 59.1%
10. त्रिपुरा – 58.%
11. जम्मू एवं कश्मीर – 56.6%
12. राजस्थान – 56.3%
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau, NCRB)
2. झारखण्ड - 74.7%
3. आंध्र प्रदेश – 70.7%
4. छत्तीसगढ़ - 69.9%
5. मध्य प्रदेश – 66.8%
6. कर्नाटक – 64.7%
7. पुदुचेरी – 64.2%
8. बिहार – 62.7%
9. असम – 59.1%
10. त्रिपुरा – 58.%
11. जम्मू एवं कश्मीर – 56.6%
12. राजस्थान – 56.3%
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau, NCRB)
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड
ब्यूरो केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन है तथा भारतीय दण्ड संहिता के
अंतर्गत उल्लिखित अपराधों से संबंधित आकड़ों का संग्रह व विश्लेषण करता है. इसे 11 मार्च 1986
को स्थापित किया गया था. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो का
कार्यालय नई दिल्ली में है.
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