एफआईपीबी ने टाटा-सिंगापुर एयरलाइंस के संयुक्त उपक्रम को मंजूरी प्रदान की-(25-OCT-2013) C.A

| Friday, October 25, 2013
विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस (एसआईए) के संयुक्त उपक्रम को 24 अक्टूबर 2013 को मंजूरी प्रदान की. बोर्ड ने टाटा व सिंगापुर एयरलाइंस के बीच प्रस्तावित 4.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान की.
देश वृहदतम कार्पोरेट घरानों में से टाटा समूह की सिंगापुर की प्रमुख विमानन कंपनी सिंगापुर एयरलाइंस के साथ हुए संयुक्त करार का उद्देश्य है टाटा समूह के द्वारा भारत में एक नई विमानन सेवा को आरंभ करना. इस संयुक्त उपक्रम में टाटा समूह की 51 प्रतिशत व सिंगापुर समूह की 49 प्रतिशत भागीदारी रहनी है और संयुक्त उपक्रम के बोर्ड में टाटा समूह की ओर से दो निदेशक तथा एसआईए का एक निदेशक होगा.
टाटा-एसआईए के संयुक्त उपक्रम से बनी विमानन कंपनी दिल्ली से अपना कारोबार करेगी और इस नई विमानन सेवा के चेयरमैन प्रसाद मेनन होंगे जबकि दो अन्य निदेशकों के नाम हैं – मुकुंद राजन व मैक स्वी वा.
विदित हो कि टाटा समूह मलेशिया की विमानन कंपनी एयर एशिया के साथ कम लागत वाली विमानन सेवा की शुरुआत हेतु करार कर चुका है जिसमे एयर एशिया की 49 प्रतिशत तथा टाटा समूह की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इस संयुक्त उपक्रम को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड पहले ही मंजूरी दे चुका है.

विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (Foreign Investment Promotion Board, FIPB)
केंद्रीय वित्त मंत्रालय का विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से जुड़े उन प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए एकल पटल निकाय का काम करता है जिन पर सीधे तौर पर एफडीआई की स्वीकृति नहीं होती. एफआईपीबी में विभिन्न मंत्रालय के सचिवों के साथ-साथ आर्थिक मामलों के विभाग एवं वित्त मंत्रालय के सचिव अध्यक्ष के रूप में होते हैं. यह अंतरमंत्रालीय निकाय देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से संबंधित प्रस्तावों पर चर्चा, उच्चतम सीमा, कारकों पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के तहत करता है. वित्त मंत्रालय एफआईपीबी के अधिकतम 1200 करोड़ रुपये तक के प्रस्तावों पर की गई सिफारिशों को मंजूरी प्रदान करता है. ऐसे प्रस्तावों जिनका मूल्य 1200 करोड़ रुपये से अधिक होता है उनके लिए आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs-CCEA) की स्वीकृति लेनी होती है.