भारत
तथा हंगरी ने परंपरागत भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के विकास तथा प्रोत्साहन हेतु एक
द्विपक्षीय समझौते पर 17 अक्टूबर 2013 को
हस्ताक्षर किये. इस समझौते पर भारत की ओर से प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह तथा
हंगरी के ओर से प्रधानमंत्री विक्ट्र ओर्बन ने हस्ताक्षर किये.
दोनो
देशों के बीच बनीं सहमति का उद्देश्य समानता और परस्पर लाभ के आधार पर आधार पर
दोनों देशों की परम्पदरागत चिकित्सात पद्धतियों के विकास, प्रोत्साेहन और सशक्तिकरण में आपसी सहयोग प्रदान करना है.
सहमित-पत्र की मूल बातें
•
चिकित्सा की परम्प्रागत पद्धतियों
के इस्तेजमाल को बढ़ावा देना.
• इन पद्धतियों के प्रयोग हेतु लाइसेंस व एक-दूसरे के बाजारों में उनके विपणन के अधिकार.
• इन पद्धतियों के प्रयोग के संबंध में कानूनी सूचना का आदान-प्रदान.
• चिकित्सा की परम्परागत पद्धतियों के विशेषज्ञों, अर्द्ध-चिकित्सा कर्मियों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों एवं छात्रों की अदला-बदली को बढ़ावा देना.
• परंपरागत भारतीय चिकित्सा पद्धतियों हेतु नई आर्थिक एवं व्यावसायिक संभावनाओं का पता लगाना.
• इन पद्धतियों के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देना.
• परंपरागत भारतीय चिकित्सा पद्धतियों (भारत आयुर्वेद, यूनानी, योग, सिद्ध, होम्योंपैथी) की पहुंच को विश्व भर में बढ़ाना.
• इन पद्धतियों के प्रयोग हेतु लाइसेंस व एक-दूसरे के बाजारों में उनके विपणन के अधिकार.
• इन पद्धतियों के प्रयोग के संबंध में कानूनी सूचना का आदान-प्रदान.
• चिकित्सा की परम्परागत पद्धतियों के विशेषज्ञों, अर्द्ध-चिकित्सा कर्मियों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों एवं छात्रों की अदला-बदली को बढ़ावा देना.
• परंपरागत भारतीय चिकित्सा पद्धतियों हेतु नई आर्थिक एवं व्यावसायिक संभावनाओं का पता लगाना.
• इन पद्धतियों के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देना.
• परंपरागत भारतीय चिकित्सा पद्धतियों (भारत आयुर्वेद, यूनानी, योग, सिद्ध, होम्योंपैथी) की पहुंच को विश्व भर में बढ़ाना.
विदित
हो कि भारत, मलेशिया और त्रिनिडाड टोबेगो के साथ ऐसे
समझौते पहले ही कर चुका है और निकट भविष्यं में रूस, नेपाल,
श्रीलंका, सर्बिया और मैक्सिको के साथ ऐसे
समझौते करने वाला है.
0 comments:
Post a Comment