चीन
के वैज्ञानिकों ने विश्व-भर में इंटरनेट हेतु उपयोग की जाने वाली ‘वाई-फाई’ के मुकाबले कही अधिक तेज तथा अपेक्षाकृत कम
खर्च वाली इंटरनेट तकनीक ‘लाई-फाई’ की
खोज की है. ‘लाई-फाई’ के माध्यम से ‘वाई-फाई’ में उपयोग की जाने वाली रेडियो तरंगों के
स्थान पर प्रकाश बल्ब के माध्यम से संकेतों को भेजा जा सकेगा. इस संबंध में बीजिंग
स्थित फुदन विश्वविद्यालय (Fudan University) के सूचना
प्रद्यौगिकी विभाग के प्रोफेसर ची नन द्वारा 17 अक्टूबर 2013
को सूचना दी गयी.
‘लाई-फाई’ से संबंधित तथ्य
•
इसमें एक साथ चार कंप्यूटरों को मात्र एक वॉट के एलईडी बल्ब
के प्रकाश के इस्तेमाल से इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है.
• एलईडी बल्ब, जिसमें कि एम्बेडिड माइक्रोचिप्स लगे होंगे, 150 मेगाबाइट प्रति सेकेंड की गति से डाटा भेजने में सक्षम होंगे. हालांकि ‘लाई-फाई’ की क्षमता 10 जीबीपीएस तक हो सकती है.
• ‘लाई-फाई’ उच्च तकनीक आधारित ऑप्टिकल वायरलेस सिस्टम है.
• इस तकनीक के माध्यम से बेहतर संकेत अंतरण हेतु आवश्यक उर्जा की खपत को कम करने में सुलभता होगी.
• पारंपरिक माध्यम की तुलना में ‘लाई-फाई’ में मात्र पांच फीसदी उर्जा की ही आवश्यकता होगी.
• ‘लाई-फाई’ परंपरागत ‘वाई-फाई’ का प्रकाशिकी संस्करण (Optical Version) है.
• ‘लाई-फाई’ को सबसे पहले जनवरी 26, 2012 को लास वेगास, अमरीका में किया गया था.
• ‘लाई-फाई’ का प्रयोग संवेदनशील स्थलों पर भी किया जा सकता है.
• ‘लाई-फाई’ नाम का सर्वप्रथम प्रयोग 2011 में ब्रिटेन के एडिबर्ग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेराल्ड हास के द्वारा किया गया था.
• एलईडी बल्ब, जिसमें कि एम्बेडिड माइक्रोचिप्स लगे होंगे, 150 मेगाबाइट प्रति सेकेंड की गति से डाटा भेजने में सक्षम होंगे. हालांकि ‘लाई-फाई’ की क्षमता 10 जीबीपीएस तक हो सकती है.
• ‘लाई-फाई’ उच्च तकनीक आधारित ऑप्टिकल वायरलेस सिस्टम है.
• इस तकनीक के माध्यम से बेहतर संकेत अंतरण हेतु आवश्यक उर्जा की खपत को कम करने में सुलभता होगी.
• पारंपरिक माध्यम की तुलना में ‘लाई-फाई’ में मात्र पांच फीसदी उर्जा की ही आवश्यकता होगी.
• ‘लाई-फाई’ परंपरागत ‘वाई-फाई’ का प्रकाशिकी संस्करण (Optical Version) है.
• ‘लाई-फाई’ को सबसे पहले जनवरी 26, 2012 को लास वेगास, अमरीका में किया गया था.
• ‘लाई-फाई’ का प्रयोग संवेदनशील स्थलों पर भी किया जा सकता है.
• ‘लाई-फाई’ नाम का सर्वप्रथम प्रयोग 2011 में ब्रिटेन के एडिबर्ग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेराल्ड हास के द्वारा किया गया था.
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