दक्षिणी
और मध्य एशिया मामलों के सहायक विदेश मंत्री पद पर नियुक्ति हेतु भारतीय मूल की
अमेरिकी प्रशासक निशा देसाई बिस्वाल को अमेरिकी सीनेट ने मंजूरी प्रदान की.
अमेरिकी सीनेट ने यह मंजूरी वाशिंगटन में 16 अक्टूबर
2013 को दी. निशा देसाई बिस्वाल इस पद (शीर्ष राजनयिक) पर
पहुंचने वाली भारतीय-अमेरिकी समुदाय की पहली व्यक्ति हैं. निशा देसाई बिस्वाल को
रॉबर्ट ब्लैक का स्थान लेना है.
निशा देसाई बिस्वाल इसके पहले यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट में एशिया मामलों की सहायक प्रशासक के पद पर कार्यरत थीं.
निशा देसाई बिस्वाल से सम्बंधित मुख्य तथ्य
• वह वर्ष 2010 से यूएसएड में एशिया मामलों की सहायक प्रशासक के तौर पर काम कर रही हैं.
• निशा देसाई बिस्वाल ने वर्जीनिया विश्वविद्यालय से बीए की पढ़ाई की.
• वह वर्ष 2005 से वर्ष 2010 तक अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में विदेश मामलों की उपसमिति में ‘मेजॉरिटी क्लर्क’ के पद पर तैनात थीं.
• वह वर्ष 2002 से वर्ष 2005 तक ‘इंटर ऐक्शन’ में नीति निदेशक के तौर पर काम कर चुकी हैं.
• निशा देसाई बिस्वाल कई और महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दे चुकी हैं.
विदित हो कि राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस पद के लिए निशा देसाई बिस्वाल के नाम की सिफारिश 18 जुलाई 2013 को की थी. सीनेट की विदेश मामलों की समिति ने निशा देसाई बिस्वाल के नाम की पुष्टि के लिए सितंबर 2013 में बहस की थी. बहस के दौरान निशा को दोनों दलों का समर्थन मिला और दोनों ही दलों के सांसदों ने उनकी तारीफ की.
निशा देसाई बिस्वाल इसके पहले यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट में एशिया मामलों की सहायक प्रशासक के पद पर कार्यरत थीं.
निशा देसाई बिस्वाल से सम्बंधित मुख्य तथ्य
• वह वर्ष 2010 से यूएसएड में एशिया मामलों की सहायक प्रशासक के तौर पर काम कर रही हैं.
• निशा देसाई बिस्वाल ने वर्जीनिया विश्वविद्यालय से बीए की पढ़ाई की.
• वह वर्ष 2005 से वर्ष 2010 तक अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में विदेश मामलों की उपसमिति में ‘मेजॉरिटी क्लर्क’ के पद पर तैनात थीं.
• वह वर्ष 2002 से वर्ष 2005 तक ‘इंटर ऐक्शन’ में नीति निदेशक के तौर पर काम कर चुकी हैं.
• निशा देसाई बिस्वाल कई और महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दे चुकी हैं.
विदित हो कि राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस पद के लिए निशा देसाई बिस्वाल के नाम की सिफारिश 18 जुलाई 2013 को की थी. सीनेट की विदेश मामलों की समिति ने निशा देसाई बिस्वाल के नाम की पुष्टि के लिए सितंबर 2013 में बहस की थी. बहस के दौरान निशा को दोनों दलों का समर्थन मिला और दोनों ही दलों के सांसदों ने उनकी तारीफ की.
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